धोखे और आत्मविश्वास

धोखे और आत्मविश्वास

प्रस्तुत पक्तियों में, कवियत्री दुनियाँ को खुदपर विश्वास करने की प्रेरणा दे रही है। अपनी कविता के ज़रिये वो दुनियाँ को बताना चाहती हैं कि किसी का हमारे जीवन में आना या हम समझते है किसी ने हमे धोका दिया। सच तो ये है कि कोई किसी को धोका नहीं देता क्यूंकि ऐसे लोगो का हमारे जीवन में आगमन हमे बहुत कुछ सिखाकर जाता है।

अर्थात ऐसे लोग हमे हमारी क्षमता का एहसास करवाते हैं, जो दूसरों पर निर्भर ना होकर खुद पर विश्वास करते हैं, अपने लिए ही नहीं वो दूसरों के लिए भी एक इतिहास कायम करते हैं, इसलिए दूसरों पर इतने निर्भर ना हो जाओं की तुम खुदकी क्षमता को ही भूल जाओ, क्यूंकि किसी पर निर्भर होकर हम आलसी बन जाते हैं, दूसरे के सपनों को पूरा करने में हम खुद को भूल जाते हैं, किसी दूसरे को राह दिखाने से पहले खुद कुछ करके दिखाओ।

एक गहरा ज्ञान जो इन पक्तियों में छुपा हैं, वह ये है की हमारे साथ जो अच्छा करता हैं, उसके लिए अच्छा करना कोई बड़ी बात नहीं, बात तो बड़ी तब है जब हमे कोई दुख दे हम फिर भी उसके लिए कुछ गलत ना सोचें।

अब आप इस कविता का आनंद ले

बेफिक्र हो गया था मैं,
किसी दूसरे पर भरोसा करके।
अपने को ही भूल बैठा,
मैं किसी दूसरे पर मरके।
दूसरे ने जब साथ छोड़ा,
इस दुनियाँ ने भी मुझसे मुख मोड़ा।
थामा जो हाथ मैंने अपना,
सच होता दिखाई दिया,
मुझे मेरा हर एक सपना।
वो दूसरा जो मेरा हाथ ,यू ना छोड़ता,
अपनी मेहनत से, अपनी किस्मत का रुख,
मैं यू ना मोड़ता।
अब वो दूसरा भी दिल को भाने लगा हैं।
छोड़े जो मुझे मेरे हाल पे,
मेरे लिए तो बस अब वही मेरा सगा हैं।
कैसे मेहनत कर, मैंने अपने अंदर छुपी कला को उभारा हैं।
अपने में रहकर, अपने को मैंने हर रोज़ संवारा हैं।
मेरे इस बदलाव को जो ना समझ पाये,
वो कैसा बेचारा हैं।
ख़ुशी मिली मुझे,
मेरी मंज़िल को पाके।
विरासत में नही मिली,
कोई तो ज़रा मेरे इतिहास में झांके।
बदल बदल कर खुदको,
अच्छाई की नीव खुद में लगाई हैं।
मेरी बात को समझने में ही,
इस दुनियाँ की भलाई हैं।

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.

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