प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कभी किसी को ज़बरदस्ती ज्ञान समझाने की कोशिश मत करना क्योंकि प्यासा कुए के पास जाता है कभी कुआँ प्यासे के पास नहीं जाता। मेहनत कर खुदको इतना काबिल बनाओ की लोग तुमसे तुम्हारी सफलता का राज़ पूछे तुम ज़बरदस्ती करके किसी को मत समझाओ क्योंकि जब बहुत प्यासे इंसान को पानी मिलता है तभी वो पानी की कीमत समझ पाता है।
कवियत्री सोचती है तुम सबके लिए दुआ करो भले ही तुम्हारी भावना को कोई समझे या न समझे तुम्हारी दुआ चाहे कबूल हो या न हो फिर भी सबके लिए अच्छा करो अच्छा सोचो क्योंकि यही सब कुछ रह जाना है चाहे किसी की झोपड़ी हो या हो किसी का बड़ा मकान। याद रखना दोस्तों समझाना भी उसे जो समझना चाहता है, बस दुआ में याद रखना। ।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
प्यासा कुए के पास जाता है।
कुए की खोज भी, प्यासा तभी कर पाता है।
जब वो प्यास उसे ही तड़पाती है।
अपना वजूद खोते देख,
हर प्यासे की प्यास और भी बढ़ जाती है।
तभी तो जाके वो कुए की खोज करता है।
उस प्यास के रहते वो पानी की हर एक बूँद को तरसता है।
उसकी ऐसी प्यास को देख,
बिन मौसम पानी भी बरसता है।
फिर पानी की हर एक बूँद से,
उस प्यासे की प्यास मिट जाती है।
अपनी आप बीती फिर हर एक पवित्र आत्मा दूसरे को बताती है।
ज्ञान पाके भले ही तुम्हारी प्यास बुझ न पाये।
इस रास्ते पर चलने वालो के मन में भी,
कभी किसी के लिए गलत ख्याल न आये।
अपने दुखो के रहते तुम फिर भी दूसरे को समझाना।
अपनी ख्वाहिशो के रहते तुम कभी किसी को भूल न जाना।
ज्ञान एक ऐसा धन है जो बाटने से बढ़ता है।
अपने दुखो के रहते तू क्यों दूसरे से जलता है??
झोपड़ी हो या मकान एक दिन, हर इंसान चिता की अग्नि में जलता है।
धन्यवाद।




















































