अब आप अगर आई टी हब बंगलुरु में हैं और नाश्ता करना चाहते हैं तो आपको अपनी जेब में 5 रुपए रखने होंगे और अगर दोपहर का लंच भी लेना चाहते हैं तो सिर्फ 10 रुपए में काम चल जाएगा। जी हाँ, यह कोई सपना नहीं है, बल्कि हकीकत है जिसका उद्घाटन 15 अगस्त को राहुल गांधी ने किया है। 15 अगस्त के अपने भाषण में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमईया ने ‘इन्दिरा कैंटीन’की घोषणा करी थी जिसका उद्देशय कम या मध्यम आय वर्ग वाले समाज को भूख से बचाना है।
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इस परियोजना के आरंभ में 101 कैंटीन खोले जा रहे हैं जहां 5 रुपए से लेकर 10 रुपए तक में सुबह के नाश्ते से लेकर रात तक का खाना मिल सकेगा। इस परियोजना का असर अच्छी तरह देखने पर ही राज्य के दूसरे शहरों और कस्बों में यह स्कीम बड़े पैमाने पर लागू की जाएगी।
मुख्यमंत्री ही वित्त मंत्रालय का कार्यभार देखते हैं। उन्होनें चालू वित्त वर्ष (2017-18) के लिए राज्य के सभी 198 वार्डों के लिए यह स्कीम लागू करने का वित्त प्रावधान किया था। वास्तव में यह स्कीम तमिलनाडू की ‘अम्मा कैंटीन’ परियोजना पर आधारित है। इस परियोजना के अतिरिक्त मुख्यमंत्री ‘अन्न भाग्य योजना’ के अंतर्गत 7 किलोग्राम चावल भी मुफ्त दे रहे हैं। इन सभी परियोजनाओं का उद्देशय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को भुखमरी जैसी बीमारी से बचाना है।
Karnataka: Congress Vice President Rahul Gandhi launches 'Indira Canteen' in Bengaluru pic.twitter.com/awfyykPzZB
— ANI (@ANI) August 16, 2017
स्वतन्त्रता दिवस के समारोह में मुख्यमंत्री ने इस दिशा में अपनी विभिन्न परियोजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। यह समारोह बंगलुरु के फील्ड मार्शल मानेकशां परेड ग्राउंड में हो रहा था।
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सभा में उपस्थित 8000 लोगों को उन्होनें बताया की गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें रोज मिड दे मील उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होनें बताया की आने वाले 2 अक्तूबर तक इस सुविधा का विस्तार राज्य के दूसरे 12 लाख आंगनवाड़ी तक कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त राज्य में तुअर दाल भी सबसिडी दर पर उपलब्ध करवाई जा रही है।
ट्विटर पाठकों के विचार:
मुख्यमंत्री के इन घोषणाओं को चुनावी लहर का आगाज माना जा रहा है। जनता इसे कांग्रेस सरकार का जनता को लुभाने वाला पैंतरा मानते हुए इसमें फँसने को तैयार नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि पिछले साढ़े चार साल से सरकार को गरीब जनता की याद क्यूँ नहीं आई और अब एकदम से सारे गरीब याद आ गए। ट्विटर पर एक पाठक का मानना है कि इस तरह की योजना राजस्थान में ‘अन्नपूर्णा रसोई योजना’ के नाम से पहले से ही चल रही है और वहाँ अधिकतम राशि 8 रुपए है। वहीं एक पाठक इस प्रकार की योजना मध्य प्रदेश में भी सफलतापूर्वक चला हुआ मान रहे हैं । कुछ लोग मानते हैं कि अगर सचमुच कांग्रेस की मंशा गरीब का भला करने की होती तो इस प्रकार की योजना उत्तर प्रदेश में या फिर बिहार में लागू की जाती, जहां कर्नाटक से अधिक गरीबी है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि देश की जनता इस प्रकार के लुभावनी घोषणाओं में आने वाले नहीं हैं।