खुद से पूछो कैसा वीर बनना है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ज़रा सोचो सफल होने की कामना तो हर व्यक्ति अपने जीवन में करता है फिर क्यों सबकी सफलता एक जैसी नहीं होती। कोई सफल बन कर अहम का रास्ता अपनाता है तो कोई सफल बनकर दूसरों को भी सफल बनाता है अपने सफलता का राज़ वो कभी नहीं किसी से छुपाता है।

Brave

अहम की राह में सफलता पाकर तालियाँ तो खूब मिलती है लेकिन इतिहास के पन्नो में युगो- युगो तक वीर ही जगमगाते है। इतिहास के पन्नो में दोनों ही तरह के लोग है लेकिन अब ये आप पर निर्भर करता है आप किस्से प्रेरणा लेकर किसके जैसा बनना चाहते हो। याद रखना दोस्तों तुम्हारे जीवन की डोर सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे हाथ में है तुम जैसा सोचोगे वैसे ही बन जाओगे।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

मेहनत तो हर कोई करता है।
हर कोई अपने ख्वाबो को पूरा करने में मरता है।
फिर क्यों कुछ ही लोगो की सफलता लाखो के दिल को छू जाती है।
कैसे किसी अनोखे व्यक्ति की सफलता,
लाखो की अंखिया को, खुशियों के आँसुओं से भिगाती है??
शायद इसलिए क्योंकि महान बनकर भी,
महान व्यक्ति में अहम का बीज नहीं पनप पाया।
उनकी महानता को देख, हर महान व्यक्ति के मन में भी ये ख्याल आया।
अहम के रास्ते में मिली सफलता में, तालियाँ तो मिल जाती है।
उस दिशा का एहसास कर, फिर बाद में,ये दिखावे की दुनियाँ पछताती है।
क्योंकि अहम की चादर के बोझ तले,
अहमी को, सही वस्तु भी सही नहीं दिखती है।
उसके जीते जी तो उसकी रचनाओं की वस्तु,
उसकी ही महफ़िल में आसानी से बिकती है।
मगर निर्मल स्वाभाव वाले व्यक्ति के हक़ में,
ये सृष्टि भी उसके लिए इतिहास के पन्नो में लिखती है।
फिर उन्ही पन्नो को पढ़,इतिहास के वीरो की कहानी,
हम अपनी-अपनी तरह से समझते है।
उन कथाओं को समझ, फिर हम किसी से,
जीवन की छोटी-छोटी बातो पर नहीं उलझते है।
अपने जीवन के पल-पल की अहमियत को समझते है।
फिर उन्ही वीरो के रास्तो को अपना कर, हम उनसे मिलने को तरसते है।

धन्यवाद।

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