प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि इंसान अगर खुद हर हाल में खुश रहना चाहे तो दुनियाँ की कोई ताकत उसे दु:खी नहीं कर सकती। जीवन की लड़ाई केवल स्वयं से है वह ये अक्सर सोचती है फिर भी कभी-कभी वो भी उदास हो जाती है लेकिन फिर भी हर परिस्थिति में वो खुदको मनाती है इसलिए नहीं क्योंकि वो दूसरों की नज़रो में महान बनना चाहती है बल्कि इसलिए क्योंकि अपने जीवन से वो सबको ये सिखाना चाहती है कि दुख के अंधकार में भी उम्मीद की किरण देखो.हमे जितना भी मिला है इस दुनियाँ में न जाने कितने ऐसे लोग है जिन्हे इतना भी नहीं मिलता। चाहे कोई कितना भी अमीर आदमी क्यों न हो वो अपनी सारे दौलत दे कर भी जीवन में सुकून नहीं खरीद सकता क्योंकि सुकून केवल अच्छे कर्मो से ही आता है। इसलिए अच्छी किताब पढ़ो और उससे सीखो सही दिशा क्या है और खुदको परखो की तुम अभी कहाँ हो।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
मैं खुश हूँ क्योंकि मैं खुश रहना चाहती हूँ।
अपनी ज़िन्दगी के हक़ में,
मैं भी इस दुनियाँ से कुछ कहना चाहती हूँ।
दुख के अंधकार में घिर कर,
कभी-कभी मैं भी दु:खी हो जाती हूँ।
फिर अपने को खुद ही मनाकर,
मैं खुदको चुप कराती हूँ।
इसलिए नहीं की इस दुनियाँ के सामने,
मैं अपनी महानता दिखाना चाहती हूँ।
शायद इसलिए क्योंकि हर हाल में खुश रहने की कला,
मैं इस दुनियाँ को सिखाना चाहती हूँ।
दर्द ही दर्द मिलेगा, अगर अपने और सबके केवल दर्द ही देखोगे।
दुख की छाओ में भी सुख मिलेगा,
अगर हल हाल में तुम उम्मीद की किरण ही देखोगे।
सुख कोई ऐसी चीज़ नहीं,
जो बाज़ारो की केवल ऊंची दुकानों में ही बिकती है।
न देखे मज़हब, न देखे अमीरी और गरीबी
ये कवियत्री तो बस इंसानियत के हक़ में लिखती है।
सुख का रास्ता केवल अच्छे मार्ग पर चल कर ही आता है।
अपने को कम समझ, दूसरों से चिढ़ कर,
मानव जीवन में ठोकरे ही खाता है।
धन्यावाद।