प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि वक़्त रहते वक़्त की कीमत को समझो, बेखबर होकर बस ये न सोचो की सब मिल जायेगा। तुम्हारी आज की मेहनत कल रंग ज़रूर लायेगी ही लायेगी लेकिन उसके लिए तुम्हे आज बीज तो बोने ही होंगे। सपने देखने के कोई पैसे नहीं होते हर रोज़ सपना देखो लेकिन सिर्फ सपना देखने से ही कुछ नहीं होगा हर रोज़ तुम्हे उस दिशा में मेहनत भी करनी होंगी। शुरुवात में भले ही तुम्हे कम मिले लेकिन एक दिन ऐसा ज़रूर आयेगा जब तुम्हारी मेहनत का एक छोटा सा बीज पकते-पकते एक दिन बहुत बड़ा पेड़ बन जायेगा। बस खुदपर विश्वास रखो क्योंकि तुम्हारा सपना कोई और नहीं देख सकता। याद रखना दोस्तों सपने तो सब ही देखते है लेकिन ऐसा सपना बहुत कम लोग देखते है जिसमे ईश्वर भी तुमसे प्यार करने पर मज़बूर हो जाये। अब ये तुम पर निर्भर करता है किस मार्ग पर चल कर तुम्हे अपने सपने को पाना है। ज़रा सोचो नाम तो सब कमाते है फिर क्यों कुछ ही लोगो का नाम इतिहास के पन्नो में जगमगाता है? कही देर न होजाये वक़्त रहते उस सच को पहचानो।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
बेखबर होकर बस ये न सोचो,
जो होगा देखा जायेगा।
क्योंकि तुम्हारी ही मेहनत का बीज,
कल पेड़ बन कर, तुम्हारे सामने आयेगा।
अब उसमे फूल खिलेंगे या काटे,
ये तो आज की मेहनत पर निर्भर करता है।
घड़ी की सुई के हर कदम के साथ ही तो,
हर जीव यहाँ पल-पल मरता है।
वक़्त है कम और मेहनत करनी है ज़्यादा।
आज ही शांत बैठ, तुम भी करलो अब खुदसे ये इरादा।
ज़िंदगी में मिले भले ही थोड़ा कम या ज़्यादा।
बस हर पल में कुछ अनोखा करते जाना है।
अपनी क्षमताओं को ही बस मैंने अपना माना है।
जो बढ़ायेगा कदम सही दिशा की ओर।
बंध जायेगी ईश्वर से, फिर उसके जीवन की भी डोर।
धन्यवाद।