प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को बड़ो को छोटो से और छोटो को बड़ो से सीखने की प्रेरणा दे रही है। वह सोचती है कि पहले ज़माने के लोगो की आदते अच्छी है जैसे जल्दी उठना, साफ़ सफाई रखना और कई बातो में आज की पीड़ी के विचार अच्छे है जैसे गर्ल-एजुकेशन, औरतो का सम्मान ,बहू को बोझ न समझना आदि। पहले आदते अच्छी थी लेकिन इंसान फ्री नहीं था आज एजुकेशन के बढ़ने से लोगो की सोच कई हद तक अच्छी हुई है। कहने का मतलब है आप सही विचार और आदते अपनाये.
ऐसा ज़रूरी नहीं कि हमेशा जो बड़े कहते है वो ठीक हो या हमेशा छोटे ही सही हो। आपस में विचार कर हमेशा सही का साथ दो। छोटे अगर बड़ो के अनुभव से सीखेंगे तो उनका मान बढ़ेगा और बड़े भी अगर छोटो के विचारो पर ध्यान देंगे तो ऐसे रिश्तों में मिठास बनी रहेगी। दोस्तों ईश्वर की चाहे हम कितनी पूजा करले, अगर उनकी बात नहीं मानी तो उनको भी दुःख होता है। जिनके विचार आपसे मिलते है कम से कम उनके साथ तो अपनी ईमानदारी दिखाये। अगर हर इंसान अहम की आड़ में सही चीज़ को नहीं अपनायेगा तो कोई भी कुछ बड़ा हासिल नहीं कर पायेगा।पहले कदम तुम बढ़ाओ, तुम्हे देख ये दुनियाँ भी जागेगी।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
कुछ पुरानी आदते, तो कुछ नये विचार अपनाओ।
अपनी ही सोच को अच्छा बताकर,
फिर दूसरे को अपना बनाने की उम्मीद न लगाओ।
बड़ो के अनुभव से सीख कर, तुम उनका मान बढ़ाओ।
छोटो के विचारो को सुन, तुम उन पर भी ध्यान लगाओ।
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हर किसी में, कुछ न कुछ अच्छा,
तो हर किसी में, कुछ न कुछ कमी होती है।
देखकर चारो तरफ घमंड का चोला,
ईश्वर की आँखों में भी, दुख की नमी होती है।
कोई तो अच्छाई की राह में,पहला कदम बढ़ायेगा।
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अपनों के खातिर, कोई तो अपनों को, अपनी बात भी समझायेगा।
किसी दूसरे का करा, तुम्हे तब तक समझ नहीं आयेगा।
जब तक तुम्हारे सामने भी वही,परिस्थिति का माहौल नहीं बन जायेगा।
नफरत की आग में प्राणी, कब तक जलता जायेगा??
कोई तो सूर्य बनकर,कुल का दीपक कहलायेगा।
धन्यवाद