प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को यह समझाना चाह रही है कि हमारे साथ जो भी हो रहा है या आने वाले कल में जो भी होगा उसके ज़िम्मेदार हम खुद है और कोई नहीं क्योंकि कर्म के नियम बहुत कठोर होते है, जो इंसान जैसा करता है या सोचता है उसके सामने वही परीस्थिति आनी होती है इस नियम से बड़े-बड़े महात्मा भी नहीं बच पाये.
इसलिए कहते है किसी का न बुरा करो और न ही किसी के लिए भी गलत सोचो। द सीक्रेट, भगवत गीता, लोटस सूत्रा इन सब अच्छी क़िताबों में भी इसी की चर्चा है। हर इंसान अगर यही बात समझ जाये तो कभी लड़ाई झगड़े नहीं होँगे। कर्म प्रधान है जो जैसा करेगा उसके सामने वैसा ही आयेगा इसलिए आप किसी का गलत कर अपना बुरा न करे।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
तो क्यों किसी की गलत बात पर,
तू अपनी पलकें भिगोता है।
जिसने करी गलती, आगे आने वाले कल में
दुख तो उसे ही होता है।
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
तो क्यों किसी और की गलती पर तू
नहीं चैन से सोता है।
जिसने नहीं मानी वक़्त पर अपनी गलती,
वही आगे रोता है।
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
गलती कर माँगने ने से माफ़ी,
कर्म और भी अच्छा होता हैं।
इस मार्ग पर ही इंसान का,
ईश्वर से मिलन होता है।
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
खुद में न झाँक दूसरों को देख,
अपनी तकलीफों के बीज तू और क्यों बोता हैं?
दूसरे की गलतियों को देख,
इंसान और गलतियाँ कर देता है।
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
दुखो के साये में, बस अपना ही अपने संग होता है,
हमें चुप कराकर वो भी अकेले में कही रोता है।
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
अपनों में रहकर भी, तू अपनों से सच क्यों नहीं कहता है।
गलत सोच की भावनाओं में, तू अकेला क्यों बहता है।
कृप्या आप ये कविता बहुत लोगो तक पहुँचाये जिससे बहुत लोग सही ज्ञान तक पहुँचे। हमारी सोच ही सब कुछ है हम जैसा सोचते है वैसे ही बन जाते है।