प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को ख़ुशी के छोटे-छोटे उत्सव मनाने की प्रेरणा दे रही है। वह चाहती है दुनियाँ में सब लोग अपनी छोटी छोटी खुशियाँ अपनों के संग बाटे। जीवन का कुछ नहीं पता हम यहाँ है कल पता नहीं कहाँ हो इसलिए वक़्त रहते हम जहाँ भी हो जिसके साथ भी हो हमे सबके साथ खुशियाँ बॉटनी चाहिये। लड़ाई कहाँ नहीं होती, याद रहे जहाँ प्यार है वहां लड़ाई भी होगी लेकिन अगर हम छोटे बच्चों की तरह सब कुछ भूल कर छोटी-छोटी खुशियों के छोटे छोटे उत्सव बनाये तो सब ख़ुशी से रह सकते है।
अपनों संग उत्सव मनाकर जो ख़ुशी मिलती है वो करोड़पति बनने से भी नहीं मिलती, क्योंकि ख़ुशी अंदर से होती है और किसी से झगड़ कर या गुस्सा करके हम अपनी ख़ुशी को खुदसे छीन लेते हैं। बात करने से बड़ी-बड़ी समस्या दूर होजाती है लेकिन जो अहम कर अपनी बात ही ऊंची रखते है उनका कुछ नहीं हो सकता। ऐसे लोग अपने लिए गड्ढा खुद ही खोद लेते है। अहम छोड़ अपनों संग उत्सव मनाने से हम सुख शांति के साथ रह सकते हैं।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
हो जाता हैं ये दिल दिलवाना।
अपनों को यू ही हँसाकर,
तुम उन्हें कभी न रुलाना।
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
दूरी प्यार में बदल जाती है।
बीते कल की लड़ाई,
सबके दिल से ख़तम हो जाती हैं।
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
रूठे यारों को मनालो,
जितनी ज़िन्दगी भी तुम्हारे पास है.
अपने प्यार से अपने रिश्तों को सजालो।
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
हर दिन अच्छाई की नीव लगाओ,
रूठें जो कभी तुम्हारा मन,
तो उसे प्यार से बहलाओ।
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
दिल शांति से भर जाता है।
किसी दूसरे को हंसाके,
खुदके दिल को भी, सुकून मिल जाता है.
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
ख़ुशी तो बहुत मिलती है।
अकेले नहीं इसमें कोई भी जादू,
ये तो अपनों के संग ही मिलती है।
छोटे-छोटे उत्सव मनाके,
दिल से कई गम दूर होते है।
मनाके ऐसी कई खुशियाँ,
हम अक्सर ख़ुशी से रोते हैं।
कृप्या आप ये कविता बहुत लोगो तक पहुँचाये जिससे बहुत लोग सही ज्ञान तक पहुँचे। हमारी सोच ही सब कुछ है हम जैसा सोचते है वैसे ही बन जाते है।