दुर्ग : छत्तीसगढ़ राज्य बाल आयोग के द्वारा बच्चों की देख-रेख व संरक्षण में नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों को जोड़ने के उद्देश्य से प्रदेश में नगर निगम दुर्ग से शुरूआत किया जा रहा है। 26 फरवरी को जिला पंचायत के सभाकक्ष में कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण बाल अधिकारों के प्रभावी संरक्षण हेतु नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी व संवेदनीकरण के लिए आयोजित किया गया।इस अवसर पर बाल आयोग की अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे एवं सदस्य श्रीमती मीनाक्षी तोमर, सचिव नंदलाल चैधरी ने आयोग के उद्देश्य से प्रतिनिधियों को अवगत कराया। इस अवसर पर आयोग की अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे ने कहा कि अभावग्रस्त बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाकर उनका विकास करना व शासन की योजनाओं का लाभ देकर उनका कल्याण करना है। वहीं, बच्चों के विकास के बिना समाज का विकास संभव ही नहीं है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से अभावग्रस्त बच्चों को संरक्षण देकर उनका विकास किया जा सकता है। इस उद्देश्य से नगर निगम दुर्ग से इसकी शुरूआत की जा रही है। आने वाले समय में प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा।
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उन्होंने कहा कि बच्चे कई प्रकार की समस्या से गुजरते हैं, कई बार परिवार या निकटतम संबंधियों से प्रताड़ित होने पर वे अपनी व्यथा व परेशानी किसी को बता नहीं पाते हैं, ऐसे स्थिति में बच्चों को किसी प्रकार की मदद नहीं मिलती है। ऐसे बच्चों की पीड़ा को समझते हुए रायपुर में कई स्थानों पर बाल शिकायत पेटी की शुरूआत की गई है। इसके माध्यम से बच्चे अपनी पीड़ा को पत्र के माध्यम से बता सकेंगे।
उन्होंने कहा कि बच्चों में लैंगिंग उत्पीड़न, बाल अपराध, बाल शोषण जैसे सामाजिक बुराईयों और कुरूतियों को दूर करने के लिए बाल आयोग तत्पर है। बाल आयोग के द्वारा नगर निगम के प्रतिनिधियों को जोड़ने से इस दिशा में गति मिलेगी।
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दुर्ग नगर निगम की महापौर श्रीमती चन्द्रिका चन्द्राकर ने दुर्ग जिले में पहली शुरुआत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आभार प्रकट किया। जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती माया बेलचंदन ने कहा कि बच्चों की देखभाल व उसके विकास के लिए अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए। इससे बच्चों के कल्याण में मदद मिलेगी। आयोग की सदस्य श्रीमती मीनाक्षी तोमर ने कहा कि बच्चों के अधिकारों के संबंध में जानकारी देने और उन्हें कैसे मदद की जा सकती है, इस हेतु यह कार्यशाला आयोजित की गई है। कार्यशाला में दी गई जानकारी से नगर निगम के प्रतिनिधिगण सक्रियता व सहभागिता के साथ बच्चों की मदद कर सकेंगे।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर.के. खुंटे ने कहा कि शासन के द्वारा समाज के सभी वर्गों की आवश्यकता व जरूरत को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जाती है। कई बार योजनाओं की सही जानकारी नहीं होने से उनका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। ऐसे में यह कार्यशाला बच्चों की देखभाल, मदद व संरक्षण की दिशा में सार्थक साबित होगी।
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इस अवसर पर बच्चों की देखभाल व संरक्षण के लिए बनाए गए नीति, नियमों के साथ ही कैसे उनकी मदद की जा सकती है, इस विषय पर प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि समेकित बाल संरक्षण योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है। जिसका क्रियान्वयन राज्य सरकार, सामाजिक संगठनों व समाज की सहभागिता से किया जा रहा है। यह योजना बाल अधिकार संरक्षण और सर्वोत्तम बालहित के सिद्धांत पर आधारित है।
समेकित बाल संरक्षण योजना का उद्देश्य आवश्यक योजनाओं एवं सेवाओं का संस्थानीकरण करना एवं संरचना को मजबूत करना है। प्रत्येक स्तर पर क्षमताओं में वृद्धि करना, पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर बाल संरक्षण के लिए क्षमता निर्माण करना, बाल संरक्षण के लिए कार्य-कारियों के बीच समन्वय स्थापित करना एवं बाल संरक्षण के मुद्दों पर जनजागरूकता बढ़ाना है।
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इसके लिए शून्य से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए निश्चित लक्ष्य निर्धारित करते हुए उनका संरक्षण करने हेतु कार्ययोजना बनाया गया है। इसके अंतर्गत सुरक्षा एवं देखभाल की आवश्यकता वाले एवं विधि का उल्लंघन या विधि के संपर्क में आने वाले बच्चों की अलग-अलग श्रेणी बनाई गई है।
[स्रोत- घनश्याम जी. बैरागी]