प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कभी कभी हम खुदको कितना बेबस महसूस करते है सब कुछ हमारे पास होते हुये भी हम कभी कभी ऐसी गलती कर देते है जिसका पछतावा हमे काफी समय तक रहता है। जैसे कहते है कि ईश्वर हम सब के हृदय में वास करते है लेकिन कितने लोग है इस दुनियाँ में ऐसे जो अपने दिल की सुनते है। हर इंसान को पता होता है क्या सही है और क्या गलत फिर भी ना चाहते हुये भी हमसे कई बार गलतियां होती है कभी कभी हम किसी को समझाते है तो दूसरा बुरा मान जाता है इसलिए शांति बनाये रखने के लिए पहले तुम शांत हो जाओ तुम्हे देख क्या पता ये जग भी बदले। याद रखना दोस्तों जो इंसान अपने अनोखे गुणों पर कभी घमंड नहीं करता मतलब वो अपने दिल कि सुनता है जहाँ ईश्वर का अंश वास करता है लेकिन दुख केवल इस बात है कि ऐसे व्यक्ति को खुदको इस दुनियाँ को समझाना बड़ा मुश्किल होता है। ईश्वर तो सबके अंदर ही है अब कोई उनकी नहीं सुनता तो इसमें उनकी तो गलती नहीं। सब साथ छोड़ जाते है लेकिन ईश्वर का अंश हमारे साथ हमारे अंतिम क्षण तक होता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
कोई चाहे ना सुनना,
फिर भी ये दिल क्यों कुछ सुनाना चाहता है?
अपने ख़यालो पर तो ये बावरा कभी नहीं इतराता है।
अपने दु:खो में भी ये दूसरे के दु:खो को समझ जाता है,
मगर इसकी व्यथा, क्या इस दुनियां में कोई समझ पाता है?
क्या पता इसकी सुन, तम्हारी दुनियाँ ही बदल जाये।
अपने को भले ही भूल जाये,
मगर उसकी सुनी अच्छी बातो को हम कभी ना भूल पाये।
भटक जाता है ये मन,
अपने दिल की ना सुनके।
बनती है रिश्तो की कड़ी मज़बूत,
उसके एक एक धागे को सही से बुनके।
एक फंदा ठहरता तो दूसरा निकल जाता है।
अपने को कर उदास तब कोई किसीसे कुछ कह नहीं पाता है।
अपनों के खातिर वो अपना, सब कुछ चुप चाप ही सह जाता है।
धन्यवाद।