ख्वाहिशों का समुंदर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ख्वाहिशों का तो कभी अंत ही नहीं होता। इंसान अपने दुखो से ज़्यादा दूसरों के सुख से जलता है लेकिन वो ये नहीं सोचते की आज अगर कोई सुखी है तो उस सुख को पाने के लिए उसने कितनी कड़ी मेहनत करी है।

Sea of wishes

कवियत्री सोचती है अगर आप किसी की ख़ुशी का कारण नहीं बन सकते तो कम से कम किसी के दुख का कारण न बने, क्योंकि इस पूरी दुनियाँ में ऐसा एक भी इंसान नहीं जिसके जीवन में कोई दुख नहीं और सुखी भी इंसान तभी होता है जब लाख दुख होने पर भी वो कभी सही दिशा का साथ नहीं छोड़ता याद रखना दोस्तों सुकून कभी धन प्राप्ति से नहीं मिलता बहुत से लोग ऐसे भी है इस दुनियाँ में जिनके पास धन तो है लेकिन सुकून से जीने का ज़िन्दगी को ठीक तरीके से समझने का वक़्त नहीं और वक़्त तो यूही निकलता जाता है वो हमे ये सोचने का मौका भी नहीं देता कि हम ठीक भी कर रहे है या नहीं।

अब आप इस कविता का आनंद ले.

ख्वाहिशों का समुंदर ऐसा,
जिसमे जितना डूबो, कम ही लगता है।
एक ख्वाहिश अभी पूरी ही हुई थी की,
इंसान दूसरी ख्वाहिश की पूर्ति की राह तकता है।
किसीको क्या कब और कैसे मिलेगा,
क्या ये कोई ठीक से बता सकता है?
अपने दुखो का पलड़ा ही भारी,
हर किसी को क्यों लगता है?
देखो ज़रा नज़र घुमाके,
क्या कोई है ऐसा जिसके जीवन में गम नहीं।
रुलाकर किसी को, खुश होजाता कोई,
ऐसे विचारों वाले हम तो नहीं।
किसीकी ख़ुशी का नहीं,
तो कम से कम उसके आँसुओ का कारण न बन।
जीत कर भी हार जाते है वो लोग,
जिनपे होता बहुत सा धन।
धन का क्या करोगे जब साफ़ ही नहीं तुम्हारा मन।

धन्यवाद।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.