गांव लुहारा में, मैडम ने किसानों पर झाड़ा सरकारी नौकरी का रौब

श्रीगंगानगर जिले के रायसिंह नगर पंचायत समिति के गांव लुहारा में मैडम ने किसानों पर झाड़ा सरकारी नौकरी का रौबमें बीज वितरण के दौरान ग्राम सेवक मैडम द्वारा किसान ग्रमीण से अभद्रता करते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया. किसान द्वारा किसी बात पर ग्राम सेवक से पूछा गया कि यह किसान सेवा केंद्र क्यो बनाया गया है आप अलग बैठकर बीज बांटा है. तो मेडम द्वारा ग़लत भाषा में बेशर्मी से किसान को उल्टा जवाब दिया.Goverment officer abusing with villagersमैडम जी ने रौब झाड़ते हुए ग्रामीण किसान के साथ शरेआम बुजुर्गों, जवान और महिलाओं के बीच बुजुर्ग से अभद्र भाषा में बात की. उससे भी शर्मनाक घटना यह कि एक महिला होते हुए अपनी मर्यादा को ध्यान में नहीं रखा. किसान को उल्टा जवाब, अशोभनीय भाषा में किसान सेवा केंद्र के विषय में दिया गया.

अपनी कुर्सी का रौब झाड़ते हुए कहा कि किसान सेवा केंद्र बनाया है “जुआक वंडन नु” जिसका हिंदी अनुवाद देख आपके होश उड़ जाएंगे. पंजाबी (शब्द “जुआक” = अर्थ होता है ‘बच्चे’, “वंडन नु”= इसका मतलब- ‘बांटना’) मैडम जी तैश में सरकार की नौकरी का रॉब झाड़ते हुई यह भी भूल गई कि ड्यूटी पर ग्रामीणों किसानों को क्या वितरण करना है.

कितना शर्मनाक मंजर होगा, जब मैडम ने वृद्ध-जवान और माता-बहनों के सामने ग्राम पंचायत दफ्तर में बैठे ही किसान ग्रामीण से अभद्रता पूर्वक बातचीत की. कितने शर्म की बात है कि एक बेटी, जो सरकारी कर्मचारी बनते ही यह सब भूल गई कि बात करने का सलीका क्या है. सरकार नौकरी के नशे में अक़्सर कर्मचारियों द्वारा जन सामान्य के साथ कैसे बेहद बदसुलक बर्ताव किया जाता है. यह उसका एक छोटा सा उद्धरण है और अगर कोई महिला कर्मचारी ऐसे पेश आती है ग्रामीण किसान के साथ तो उच्च अधिकारियों और अन्य पुरुष कर्मचारियों द्वारा जन सामान्य से कैसे बर्ताव किया जाता होगा वह बताने की आवश्यकता शायद नही हैं.

सरकारी कर्मचारी द्वारा अगर ग्रामीण को ऐसा जवाब दिया तो क्या वह ग्रामीण अपमानित महसूस करते हुए अपने काम के लिए उस कर्मचारी के सामने जाएगा? कभी नहीं. इसी प्रकार जलील होने पर किसानों, और जन मानस में भी हींन भावना पनपने लगती है. वे कर्मचारियों के मुंह लगने से डरते हैं और इसके साथ ही मध्यस्थता करने वालों की चाँद कूटने लगती हैं और दलाल सक्रिय होने लगते है जो अधिकारी, कर्मचारियों के साथ तालमेल बैठाने और जोड़तोड़ करके, कर्मचारियों से जन मानस के काम कराते हैं और कमीशन लेते हैं.

इस प्रकार भृष्टाचार का उदय और विकास होता हैं आगे बढ़ने से जन समान्य डरने लगते है और भ्र्ष्टाचार चर्म पर पहुंच जाता हैं, जो आज उपरोक्त प्रकार के कर्मचारियों की वजह से हमारे देश को दीमक की तरह लग गया है जिसका उन्मूलन सिर्फ और सिर्फ पारदर्शिता लाने से ही है.

[स्रोत- सतनाम मांगट]

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