प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को सुकून पाने का रहस्य बता रही है। वह कहती है कि झगड़े किस घर में नहीं होते लेकिन रिश्तो को सही तरह से निभाने और समझ ने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। फिर जब सारे रिश्ते एक होकर एक दूसरे की साहयता करे तो हर इंसान सुख का अनुभव करता है. ऐसा अनुभव एक के चहाने से भी हो सकता है,क्योंकि बूँद-बूँद करके ही सागर बनता है। ज़िन्दगी में आप भले ही कितना पैसा क्यों न कमाले लेकिन याद रहे सुकून कभी पैसो से नहीं खरीदा जा सकता।
कवियत्री कहती है हमारे जीवन में संगती का बहुत बड़ा असर पड़ता है इसलिए हमे अच्छी संगती करनी चाहिये। हर इंसान अपने अच्छे खयालो से ही जीवन में सुकून पा सकता है। गलत संगती करके हमारे ख्याल दूषित होते है जिसकी वजह से सब होते हुये भी हम सुख का अनुभव नहीं कर पाते। कवियत्री सोचती है कि असली सुकून दुख झेल कर ही मिलता है। क्योंकि सुख की कीमत हम तब तक नहीं समझ सकते जब तक हमने दुख का अनुभव न करा हो।
दुख भी ज़रूरी है जीवन में क्योंकि वो ही हमे मज़बूत बनाते है और उसके रहते ही हम सुकून की सच्चे दिल से कामना करते है और ईश्वर के दिखाये मार्ग को समझ पाते है। अपनी सोच पर नियंत्रण जो लगा पता है सच में वही इंसान ईश्वर की हर बात सुन, उन पर अमल कर पाता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
ज़िन्दगी में सुकून, अपनों के साथ से मिलता है।
परिश्रम की अग्नि में जलकर ही, उनका साथ मिलता है।
बिना कुछ करे ही, कैसे तुम किसी से उम्मीद लगाते हो?
अपनी तकलीफो के आगे,
तुम कैसे किसी और की, तकलीफे भूल जाते हो??
[ये भी पढ़ें : आधा सच घातक होता है]
ज़िन्दगी में सुकून, अच्छी संगती से मिलता है।
उपजाऊ मिट्टी में पनप के ही, एक सुन्दर फूल खिलता है।
बंजर ज़मीन में तो, एक घास का तिनका का भी पनप नहीं पाता।
गलत संगती करके, अच्छो के मन में भी, ख्याल बुरा ही आता।
[ये भी पढ़ें : काश एक दुनियाँ ऐसी भी होती]
ज़िन्दगी में सुकून, तकलीफे झेल कर ही मिलता है।
तूफानों के आगे बस, कहाँ किसी का चलता है??
ख्याल रखता हर परिस्थिति में, जो अपने ख्यालों का ,
ईश्वर देता जवाब, फिर उसके सारे सवालों का ।
धन्यवाद