प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री किसी की कमज़ोरी पर उसका उपहास न उड़ाने को कह रही है। उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी मोटे व्यक्ति को देखे तो कभी उसका उपहास न उड़ाओ बल्कि उसका दर्द समझने की कोशिश करो। वह सोचती है कि कमी किस इंसान में नहीं है हर इंसान अपने दुखो से, अकेला ही, खुदके बूते पर लड़ रहा है, बिना किसी की परिस्थिति समझे उसका उपहास नहीं उड़ाना चाहिये क्योंकि भाग्य के गर्भ में क्या है किसी को नहीं पता आज तुम किसी की कमज़ोरी पर उसका उपहास उड़ाओगे कल कोई तुम्हारा उपहास उड़ायेगा लेकिन तब तुम्हे अपना बीता कल याद नहीं आयेगा।तुम उस इंसान को गलत समझोगे जो तुम्हारी मज़ाक बना रहा है लेकिन जीवन की ये गहरी सच्चाई बहुत कम लोग ही समझते है। दूरी बनाके सबसे, वो रिश्तो में ज़्यादा नहीं उलझते है दूसरे के आगे वो खुदको काबिल नहीं समझते है। बस अपना जीवन सावधानी से जीते है। याद रखना तुम्हारा आज कल तुम्हारे सामने ज़रूर आयेगा इसलिए वक़्त रहते खुदको संभाल लो।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
किसी का वजन ज़्यादा होने पर,
उसका तो कोई दोष नहीं।
मज़ाक उड़ाके किसी का,
करा नहीं, तुमने ये सही।
दूसरों के दु:ख सुनकर,
उनके दर्दो का एहसास नहीं होता।
बीते जो खुदपर वही परिस्थिति,
गुस्से में आकर, अच्छा इंसान भी अपना आपा है खोता।
अपनी ही बातो को फिर याद कर,
इंसान अक्सर शर्मिन्दगी में रोता।
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किसी की कमज़ोरी पर उसका उपहास न उड़ाओ,
पाया है अगर तुमने कुछ,
तो दूसरों को दिखा कर अपनी महानता न जताओ।
अपने दु:खो से पहले लड़कर, फिर ही दूसरे को तुम राह दिखाओ।
किसी पर क्या बीती है, कुछ पल में, कैसे तुम जानोगे।
बस अपने दुखो में डूब कर, तुम दूसरों की परिस्थिति कैसे जानोगे??
बीतेगी जब तुम पर,क्या सिर्फ तभी ही तुम दूसरे का कहना मानोगे??
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उपहास उड़ाकर, किसी मासूम का अपमान न कर,
तुम्हारे अंदर भी है कुछ कमियाँ,
इस बात को, सोच कर भी तू डर।
तेरा आज जब बीता कल बन कर तेरे सामने आयेगा।
किसी और की हरकतों पर नहीं,
तू बस अपनी करनी पर ही पछतायेगा।
धन्यवाद