आधुनिक स्टेडियमों हमारे समय की कोलिसयूम्स हैं और सबसे बड़ी खेल और खेल उपलब्धियों में से कुछ के गवाह रहे हैं. हालांकि, इन स्टेडियम ने अपनी दीवारों के भीतर कई त्रासदियों को भी देखा है. यह है 10 स्टेडियम की त्रासदिय जिसने पुरे विश्व को हिला कर रख दिया था.
सन फ्रांसिस्को स्टेडियम की छत गिरना
1900 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया बर्कले विश्वविद्यालय के बीच फुटबॉल का मैच हो रहा था. यह दोनों कॉलेजों के बीच 10 वीं भिडंत थी. दर्शक इस मैच को लेकर बहुत उत्साहित थे. एसे में लगभग 400 दर्शक अपने रूपए बचाने के लिए स्टेडियम की छत में जाकर बेठ गए. जिससे स्टेडियम की छत गिर गयी और इसमें दब कर 20 लोगो की मौत हो गयी और 100 लोग घायल हो गए.
इब्रोक्स स्टेडियम आपदा ग्लासगो
5 अप्रैल, 1902 को इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच एक फुटबॉल के खेल के दौरान प्रशंसकों के वजन की वजह से स्टेडियम का एक स्टैंड टूट गया. इस दुर्घटना में 25 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए. मैच से एक दिन पहले जबरदस्त बारिश हुई थी. जिसकी वजह से स्टैंड की लकड़ियाँ कमजोर हो गयी थी. इस घटना को ब्रिटिश फुटबॉल में अपनी तरह की पहली आपदा के रूप में माना जाता है.
कोर्रलेजास बुलरिंग स्टेडियम दुर्घटना कोलंबिया, 1980
कोलंबिया में कोर्रलेजास बुलरिंग पर जल्दबाजी में तैयार किया गया स्टेडियम का तीन स्तरीय स्टैंड 20 जनवरी 1980 को ध्वस्त हो गया. इस दुर्घटना में 222 की मौत हो गयी. जिसमे बड़ी संख्या में बच्चे भी थे. साथ ही सैकड़ों लोग घायल हो गए. जब यह दुर्घटना हुई थी उस समय स्टेडियम में 40000 लोग मोजूद थे.
हिल्ल्स्बोरौघ स्टेडियम आपदा शेफील्ड, इंग्लैंड, 1989
अप्रैल 15, 1989, निस्संदेह इंग्लैंड फुटबॉल और सामान्य रूप से फुटबॉल के खेल के लिए एक सबसे बुरा दिन था. इंग्लैंड के हिल्ल्स्बोरौघ स्टेडियम में 96 लिवरपूल प्रशंसकों की एफए कप सेमीफाइनल मैच के दौरान दर्दनाक मौत हो गयी थी. यह मैच लिवरपूल और नॉटिंघम फॉरेस्ट के बीच खेला जा रहा था. इस त्रासदी की वजह थी की कई सारे प्रशंसक स्टेडियम की छत पर चढ़ गए थे.
नेशनल स्टेडियम आपदा पेरू, 1964
इस घटना को एसोसिएशन फुटबॉल इतिहास में सबसे खराब आपदा के रूप में माना गया है. यह घटना 24 मई 1964 को हुई, जब रेफरी ने मेजबान टीम के एक गोल को नहीं माना था. जब रेफरी ने यह डिसिशन दिया था तब खेल में सिर्फ पांच मिनट शेष थे और अर्जेंटीना पेरू से 1-0 से आगे चल रहा था. इस निर्णय के बाद प्रशंसक गुस्सा हो गए और स्टेडियम में दंगा शुरू हो गया और जब तक दंगा समाप्त होता तब तक 263 लोगों की जान चली गई थी. पेरू सरकार ने एक सप्ताह का राष्ट्रीय शोक घोषित किया था.