उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से गोण्डा को जोड़ने वाला लखनऊ-गोण्डा राजमार्ग

kila

गोण्डा – उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से गोण्डा को जोड़ने वाला लखनऊ-गोण्डा राजमार्ग पर सरयू,घाघरा एवं टेढ़ी नदी के बीच स्थित 298 विधानसभा क्षेत्र कर्नलगंज के रूप में विख्यात है। यह विधानसभा क्षेत्र तमाम  पौराणिक एवं ऐतिहासिक विरासत को अपने में समेटे हुए है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान वाराह के अवतार स्थल पसका शूकर क्षेत्र संगम स्थल,शक्ति पीठ माँ वाराही धाम ,सकरौरा स्थित अगस्त मुनि का पौराणिक आश्रम, परसपुर सिंगरिया गांव स्थित श्रृंगी ऋषि का प्राचीन आश्रम, रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास का जन्म स्थान राजापुर एवं गुरु नरहरिहर दास का आश्रम इसी क्षेत्र में स्थित है,जो इसकी व्यापकता,गरिमा व पौराणिक महत्ता का साक्षात गवाह है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 1857 में अंग्रेजों व गोण्डा नरेश महाराजा देवी बक्श के बीच युद्ध घाघरा तट पर हुआ । जिसके बाद अंग्रेजों की छावनी कर्नलगंज के सकरौरा में बनी। महाराजा देवी बक्श सिंह के सहयोगी फ़जल अली के द्वारा अंग्रेज शासक बॉयलु का सर कलम किया गया,जो आज भी आजादी आन्दोलन की याद दिलाता है। कर्नलगंज में जहां अंग्रेज सैनिकों की परेड होती थी। वह स्थान परेड नामक मोहल्ले के रूप में आज भी विख्यात है। नगर में स्थित भैरवनाथ मंदिर एवं समीप स्थित पांडव कालीन बरखंडी नाथ महादेव मंदिर शिव भक्तों की अगाध आस्था का केंद्र बना हुआ है, जो अपनी तमाम धार्मिक मान्यताओं को साकार कर रहा है। कर्नलगंज का रेलवे स्टेशन लखनऊ-गोरखपुर रेलमार्ग का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यहां से देश के सभी जगहों पर लोगों का आना जाना लगा रहता है। कभी रेल मार्ग से सीधे जुड़े होने के कारण यह नगर  जूट,अनाज तथा सोने-चांदी के व्यवसाय का प्रमुख केंद्र रहा है। इस क्षेत्र में गन्ना उत्पादन भी बहुत विस्तृत रूप ले चुका है। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यह क्षेत्र किसी बड़े उद्योग धंधे का मोहताज रहा है। जिसके चलते आज यहां के युवा देश के विभिन्न स्थानों यहां तक कि विदेशों में भी रोजी रोटी के लिए पलायन करते रहे है।

कर्नलगंज का राजनैतिक परिदृश्य: आज़ादी से आज तक

आजादी के बाद 1951 में तरबगंज पश्चिमी 281 के नाम से बनी विधान सभा मे रघुराज सिंह कांग्रेस से विधायक बनकर सदन पहुंचे।1957 में विधान सभा क्षेत्र सरयू 282 के नाम से हुई तो सरस्वती देवी ने कांग्रेस से इस पद की गरिमा बढ़ाई। वही 1962 में विधान सभा संख्या बदलकर 170 कर दी गयी और गिरजा प्रसाद सोसिएलिस्ट पार्टी से विधायक बने।1967 में इस विधान सभा का नाम कर्नलगंज 166 हुआ तो धनावा के कुँवर मदन मोहन सिंह निर्दलीय विधायक चुने गए। तथा चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में बनी सरकार 2 साल में गिर गई तो 1969 में एक सामान्य किसान परिवार में पैदा हुए, बाबा भगेलू सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने। पुनः1974 में विधान सभा संख्या बदलकर 163 कर दी गयी और कांग्रेस के टिकट पर रघुराज सिंह एम एल ए चुने गए। लेकिन 1975 में देश की प्रधानमन्त्री के द्वारा आपातकाल की घोषणा कर दिया गया, जिसके बाद 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर त्रिवेणी सिंह विधायक हुए।

1980 से अब तक दो राजनीतिक घरानों का है दबदबा

वर्ष 1980 में उमेश्वर प्रताप सिंह भम्भुआ कोट में आई एन सी के टिकट से जीत कर विधान सभा पहुंचे। 1985 में इन्होंने दूसरी पारी इसी पार्टी से खेली और विजयी रहे लेकिन 1989 में धनावा रियासत के एक मात्र वारिस कुँवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया उमेश्वर प्रताप सिंह को शिकस्त देकर निर्दलीय विधायक चुने गए। इसके बाद 1991,1993 व 1996 के चुनाव में लल्ला भैया अपने जादू का करिश्मा बरकरार रखा। एक लंबे अंतराल के बाद 2002 में कर्नलगंज विधान सभा संख्या बदल कर 147 कर दी गयी और योगेश प्रताप सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर सीट अपने कब्जे में कर ली गयी। 2007 के चुनाव में पुनः बरगदी कुँवर लल्ला भैया कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। लेकिन कांग्रेस से एक ही वर्ष में उनका मोह भंग हो गया और 2008 के उप चुनाव में उन्होंने अपनी बहन कुँवर बृज कुमारी सिंह को बसपा से लड़ा कर क्षेत्र की बागडोर उनके हाथ में सौप दी। 2012 में विधान सभा संख्या 298 हुई और योगेश प्रताप सिंह ने सपा के टिकट पर लड़ कर 2017 तक विधान सभा का प्रतिनिधित्व किया।तो एक बार फिर 2017 में लल्ला भैया ने भाजपा के टिकट पर लड़कर योगेश को परास्त किया। अब 2022 का महासमर अपने अंतिम चरण में है।दो धुर विरोधी राजनीतिक घरानों का महामिलन हो चुका है। दोनों घरानों की ताकत को लेकर योगेश प्रताप सिंह सपा के टिकट पर मैदान में हैं। तो वही दूसरी ओर राष्ट्रीय कुस्ती संघ के अध्यक्ष,पूर्वांचल के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह के अति करीबी माने जा रहे। अजय कुमार सिंह भाजपा के सिम्बल से उन्हें चुनाव में चुनौती दे दी है। अजय सिंह के समर्थन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो वही दूसरी ओर योगेश प्रताप सिंह के समर्थन में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहाँ आकर कर्नेलगंज विधानसभा की जनता से वोट मांगा है। इतना ही नहीं दोनों दिग्गज प्रत्याशियों द्वारा प्रचार प्रसार के दौरान जनता को अपने पक्ष में वोट करने के लिए कोई कसर भी नहीं छोड़ी गयी है । अब गेंद जनता के पाले में है। जनता भी सजग व समझदार दिखती है। जनता को जहां एक ओर उसके सामने क्षेत्र की तमाम समस्यायें दिखी तो वही दूसरी ओर सरकार की योजनाएं व प्रत्याशियों के लोकलुभावने वादे भी। अपनी ओर आकर्षित करते रहे। अब फैसला जनता के हाथ है,भले ही लोग 10 मार्च की प्रतीक्षा में हों लेकिन जनता अपना विधायक 27 फरवरी को ही तय कर चुकी है। केवल मतगणना और आयोग की घोषणा होना शेष है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.