राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सलाह दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को कोर्ट से बाहर निपटारा करने पर जोर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि ये मसला आस्था से जुड़ा हुआ है.लिहाजा इस पर सभी पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं. सुप्रीम कोर्ट के जज इस मसले में मध्यस्थता करने को भी तैयार हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में मसला सुलझाने के लिए होने वाली बातचीत नाकाम रहती है, तो हम दखल देंगे और इस मुद्दे का हल निकालने के लिए मीडिएटर अप्वाइंट करेंगे.
राम मंदिर मुद्दे पर कोर्ट में केस लड़ रहे बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को बातचीत से हल करने की कोशिश करें, स्वामी ने यह भी कहा कि राम का जन्म जहां हुआ था, वह जगह नहीं बदली जा सकती जबकि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है, स्वामी ने कहा की वह राम मंदिर के मुद्दे पर मध्यस्थ बनने के लिए काफी समय से तैयार बैठे हैं.
बता दें कि स्वामी ने कोर्ट से मांग की थी कि संवेदशील मामला होने की वजह से इस मुद्दे पर जल्द से जल्द सुनवाई हो, सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से कहा की वह इस मुद्दे को 31 मार्च या उससे पहले उसके सामने रखे.
गौरतलब है की कुछ समय पहले आरएसएस नेता एमजी वैद्य ने कहा था की बीजेपी के घोषणापत्र में भी राम मंदिर के मुद्दे का जिक्र है, इसलिए बीजेपी की यूपी विधानसभा में प्रचंड बहुमत से जीत के बाद यह मान लेना चाहिए कि राम मंदिर को जनता ने अपनी मंजूरी दे दी है, एमजी वैद्य ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी माना है की विवादित जगह पर राम मंदिर थे. इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को हल नहीं कर पाता तो बीजेपी सरकार को राम मंदिर के लिए कानून बनाना चाहिए.
असल में राम मंदिर मुद्दा यह है की हिंदू संगठनों का दावा है की अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर बाबरी मस्जिद बनी थी, मंदिर तोड़कर यह मस्जिद 16वीं शताब्दी में बनवाई गई थी, फिर राम मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया था. मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है.
देखने की बात है की सुप्रीम कोर्ट की मामले को कोर्ट के बाहर सुलाझने वाली टिप्पणी पर कितना काम होता है. बीजेपी के लिए राम मंदिर हमेशा से अहम मुद्दा रहा है. दोनों पक्ष मामले को बाहर निपटा पाएंगे या नहीं अब सबकी नजर इसी पर रहेगी.