जया की आत्मकथा बनी लालू नितिश की चर्चाकथा

बिहार के मुख्यमंत्री और आरजेडी के कर्ता धर्ता लालूप्रसाद यादव आजकर चर्चाओं के बाजार में बड़ी तेजी से घिरे हुए है और यह धिराव उन्हें भारतीय राजनेता एवं समता पार्टी की भूतपूर्व अध्यक्ष जया जेटली के कारण मिला है, क्योंकि हाल ही में जेटली ने अपनी आत्मकथा लाइफ अमंग स्कॉरपिअन्स (Life among Scorpions) को लांच किया है। जिसमें उन्होंने कई खुलासे किए हैं। Jaya jaitlyइस आत्मकथा के जरीए जया ने दावा किया है कि अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए एक समय नीतीश कुमार की जिंदगी में ऐसा आया की वह आज की सत्तारुढ पार्टी बीजेपी में शामिल होने के बारे में सोच रहे थे। इस किताब के जरीए उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ से लेकर आरजेडी के लालू-शरद और सपा के मुलायम जैसे नेताओं पर निशाना साधा है।

अगर उनकी किताब पर नजडर डाले तो , जया ने लिखा है कि बिहार के वर्तमान सीएम कभी आरजेडी सुप्रीमो से से इतने परेशान थे की कभी वह बीजेपी में शामिल होना चाहते थे। लेकिन यह समता पार्टी का रुख था जो हमारे मैदान में उतरते ही नीतीश  नें बीजेपी का दामन नहीं थामा ,वरना वह कबके बीजेपी में शामिल हो जाते । इसके अलावा समता पार्टी की भूतपूर्व अध्यक्षा ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार हमेशा से ही अपने निजी हितों को सर्वोपरी रखते हैं। जिसका उदाहरण मुझे ही नहीं बल्कि बिजनेसमैन महेंद्र प्रसाद को राज्यसभा भेज दिया गया।

आगे 2004 में बीजेपी की हार के बारे में अपनी आत्मकथा में चर्चा करते हुए उन्होंने लिखा कि सहयोगियों की अनदेखी और अहंकार की वजह से वाजपेयी सरकार साल 2004 का चुनाव हार गई थी। वहीं अपनी आत्मकथा में पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए जया जेटली ने अपनी किताब में लिखा कि नरेंद्र मोदी बहुमत ऐसे शख्स है जो सहयोगियों को हमेशा साथ लेकर चलते हैं। पीएम के इस व्यवहार की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा, ‘मोदी सदैव अपने विरोधियों से मिलते और बात करते हैं। क्योंकि वह किसी से भेदभाव नहीं रखते। गुजरात में नरेंद्र मोदी ने आसानी से बदलाव लाए लेकिन देश में अच्छे काम और बदलाव को कुछ लोग आसानी से नहीं मानते हैं।’

वहीं अपनी आत्मकथ में लंबे राजनीतिक जीवन के अनुभवों के साथ नेताओं को लेकर अपनी सोच का भी खुलकर इजहार किया है। उन्होंने किताब में लिखा, लालू और शरद केवल यादव भाषण से ही समाजवादी हैं। मधु लिमये, जेपी और राममनोहर लोहिया का विचारधारा की तरह ही रहन-सहन था। शरद यादव ने खुलकर कहा था कि मैं यादव हूं। लालू और मुलायम ने परिवारवाद को जितना बढाया दिया लोहिया और मधु लिमये एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं करते।

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