कभी कभी जिंदगी की भागमभाग में पता ही नहीं चलता कि हम अपने आप को कभी जान पाएंगे कि हमे अपनी जिदगी से क्या चाहिए था। क्योंकि कुछ करने और पाने की चाहत में हम इतना आगे बढ़ चुके होते है कि पीछे पलटकर देखना मुश्किल लगने लगता है। क्योंकि पीछे देखने का मतलब है फिर से उसी तरह से एक नई शुरुआत करना।
कुुुछ बनने की भागमभाग में हम सब यह भूल जाते है कि जिन्हें हमने पीछे छोड़ दिया है, वो अपने ही है।पर कहते है ना की कभी कभी कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है।तो समझ लीजिए यह वही खोना होता है, जिसका आभास हमे उम्र के उस दौर में आकर होता है, जहां हम किसी अपने की तलाश सिर्फ इसलिए कर रहे होते है कि हम अपने जीवन के हर सुख- दुख को बांट सके।
पर जब तक यह हमें समझ आती है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। क्योंकि तब तक हम अपने आसपास ऐसे लोगों के घेरे में घिर गए होते है, जो हमसे बहुत प्यार करते है या फिर प्यार के नाम पर एहसान। इसलिए मेरा मानना है कि कुछ पाने के लिए इतना मत भागों की एहसान वाले लोगों को ही अपने आस पास पाए। बजाय उनके जो आपका इंतजार उसी मोड़ पर कर रहे है, जहां से आपने उनका साथ अपनी मंज़िल को पाने के लिए छोड़ा था।