सिद्धू जी, अच्छी बात थी कि दोस्ती के लिए आपने पाकिस्तान के इमरान खान का दावत कुबूल किया था लेकिन एक इत्तेफ़ाक़ ऐसा भी आया कि हिंदुस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की आंखे हमेशा के लिए बंद हो गयी । आपका पाकिस्तान जाना और अटल बिहारी वाजपेयी जी का पंच तत्व में विलीन हो जाना एक ही समय पे हुआ । बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आपने भाररत्न पूर्व प्रधानमंत्री की मौत में शरीक होने से बेहतर पाकिस्तान जाना जरूरी समझा ।
सिद्धू जी जब भारत अटल जी को पंच तत्व में विलीन करने की तैयारी कर रहा था तो आप पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे क्या आपने अपने देश के पूर्व प्रधानमंत्री को जिसने देश के लिए बहुत योगदान दिया उसको इस काबिल भी नहीं समझा कि उसकी अंतिम यात्रा में शामिल हो सको क्या आप अपनी यात्रा ताल नहीं सकते थे बहुत जरुरी तो नहीं था की आप नहीं जायेंगे तो इमरान खान प्रधानमंत्री की शपथ नहीं लेते ।
अपने देश में राष्ट्रीय शोक है और आप वह हँस रहे हैं खिल खिला रहे हैं पाकिस्तान के सेना प्रमुख से गलबहियां कर रहे हैं । यहा देश की जनता के आंसू निकल रहे हैं और आपको देश की जनता के साथ रहना चाहिए जिस देश ने आपको सब कुछ दिया आपको इस दुःख की घड़ी राष्टीय शोक में साथ रहना चाहिए था बस एक बात आपसे पूछना चाहता हूँ कि बअपने घर में किसी का स्वर्गवास हो जाये और हम दूसरे के घर प्रण चले जायँ यह अच्छी बात नहीं है ये देश हमारा घर है और अटल जी पूर्व प्रधानमंत्री थे तो वो मुखिया हुए हमारे उनके पंच तत्व विलीन के समयआपको रहना चाहिए था ।
#शर्म #करो
आप दिल से उतर गये।।
[स्रोत- जीवन सिंह वाघेला]