मुस्लिम महिलाओ को तलाक…तलाक…तलाक की प्रथा से आजादी

मंगलवार को मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के लिए बेहद खुशी का दिन रहा, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में ट्रिपल तलाक जैसी प्रथा को खत्म कर दिया. पिछले कुछ समय से ट्रिपल तलाक पर गर्मजोशी चल रही थी जो मंगलवार को आकर खत्म हो गई सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है तीन तलाक का मुद्दा असंवैधानिक है साथ ही केंद्र सरकार को 6 महीने के भीतर नया कानून बनाने के लिए आदेश दिया है.TripleTalaq

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जज इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाने वाले थे जिनमें तीन मुख्य न्यायाधीशों की सहमति तीन तलाक मुद्दे के खिलाफ रही उन्होंने माना ये प्रथा गलत है बाकी दो जज ने माना ये सही है किंतु 5 में से 3 की सहमति के बाद यह निर्णय हो गया कि यह प्रथा अब भारत से खत्म कर देनी चाहिए.

जस्टिस आरएफ नरिमन, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस यूयू ललित तीन तलाक की प्रथा का विरोध किया जबकि चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर तीन तलाक की पुरानी प्रथा के पक्ष में थे.

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साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा अगर केंद्र सरकार अगले 6 महीने में कोई कानून नहीं बनाती है तो समय सीमा आगे बरकरार रहेगी किंतु इस फैसले में अब कोई और बदलाव नहीं किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सायरा बानो ने भी अपने बयान में कहा मुस्लिम समाज में औरतों की स्थिति को समझा जाए, इस फैसले को माना जाए और जल्दी से एक नया कानून बनाया जाए.

तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सुनने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अब सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है उन्होंने कहा है कि तीन तलाक का मुद्दा खत्म करना एक अच्छी बात है.

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