लेख- 1
मेरे होंठों पर आज भी तेरे तराने हैं
और हैं गुनगुनाहट तेरी बातो की,
लिखावट तो बहुत देखी तूने मगर
नहीं देखी लगी रोशनाई मेरे हाथो की,
गुजर रहे हैं मेरे पल-पल तेरे बिन ऐसे
जैसे हो अमावस कई रातो की,
वादा हैं मेरा पर शायद तब तक ना रहूं मैं
जब होगी कदर तुझे मेरे जज्बातो की.
लेख-2
दब ना जाऊँ कि साथ चाहिए तेरा
क्योंकि उसकी यादों के बोझ बहुत ढोये हैं,
याद जब आयी उसकी तो
कभी भागे अपने आप से तो कभी बहुत रोये हैं,
अतीत का वो टुकड़ा तो आज भी रंगीन हैं
फिर क्यों खामखा उसकी बेवफाई के रंग धोए हैं,
तू कहती हैं मेरी आँखे खुशी से भी नम ना हुई
तुझे क्या मालूम इन आँखों ने कितने पन्ने भिगोये हैं.