विवेकानन्द नवयुवक मण्डल हर्ष के संस्था सदस्यों की ओर से सुभाषचंद्र जयंती मनाई गई नेहरुयुवा केंद्र से मुकेश कुमार सैनी ने युवा को सुभाषचंद्र के जीवन के बारे में बताया और जो उन्होंने देश के लिए बलिदान दिए इस सबके बारे में जानकारी देते हुए कहा, नेताजी को अपने देश से बहुत प्रेम था उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश के खातिर समर्पित कर दी थी नेताजी ने प्रारंभ में पढ़ाई कटक के रेवेशाव कालेजिए स्कूल से की थी इसके बाद कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से की थी.
इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए नेताजी बोस इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में चले गए उस समय सिविल सर्विस की परीक्षा में नेताजी बोस ने अपना चौथा स्थान रखा तथा 1921 में भारत देश के आजादी के लिए भर्ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर नेताजी पुन भारत लौट आए भारत आने के बावजूद कांग्रेस के साथ जुड़ गए और सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों से सहमत नहीं थे.
नेताजी क्रांतिकारी दल के प्रिय थे महात्मा गांधी और नेताजी बोस के विचार भिन्न भिन्न होते हुए भी दोनों का मकसद देश की आजादी महात्मा गांधी को नेताजी ने सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया उनका मानना था की दुश्मनों का हाथ थाम कर आजादी हासिल की जा सकती है उनके विचारों को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने कोलकाता में उन्हें नजरअंदाज कर दिया लेकिन वह वहां से भाग निकले थे और 4 जुलाई 1944 को बर्मा में उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का बखान किया.
इस दौरान युवा मण्डल के सदस्य शंकरलाल सैनी ने आजाद हिन्द फ़ौज के बारे में जानकारी दी ओर भी वक्ताओं ने जानकारी देते हुए बताया कि किस परिस्थिति में देश को आजादी में योगदान दिया जिसमें अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे कानाराम मालचंद मदन लाल सैनी जगदीशप्रसाद सैनी आदि लोग.
[स्रोत- धर्मी चन्द जाट]