आपसी मतभेद के कारण मुकुल रॉय ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया है और जल्द ही वह राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे. मुकुल रॉय, ममता बनर्जी के बाद दूसरा ऐसा चेहरा है जो बंगाल में राजनीति को लेकर माहिर है. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और मुकुल राय के संबंध तब से खराब है जब से मुकुल राय ने बीजेपी के 1 बड़े नेता के साथ वार्तालाप की.
कैसे पड़ी दरार
टीएमसी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद राजनीति के बड़े स्तर पर अगर किसी का नाम लिया जाता है तो वह है मुकुल रॉय है. शारदा चिट फण्ड घोटाले में नाम आने के बाद मुकुल CBI के निशाने पर थे और सीबीआई द्वारा की गई पूछताछ के दौरान मुकुल ने उनका पॉजिटिव जवाब दिया जिस कारण ममता बनर्जी उनसे खिलाफ हो गई. क्योंकि उन दिनों ममता बनर्जी सीबीआई और केंद्र सरकार का जमकर विरोध कर रही थी. नाराजगी यहीं पर नहीं थमी उन्होंने अखिल भारतीय महासचिव के पद से भी मुकुल रॉय को हटा दिया और बाद में राज्यसभा में पार्टी के नेता के पद से भी
क्या बीजेपी को होगा इसका फायदा?
मुकुल रॉय और ममता बनर्जी की दरार का फायदा BJP को होगा ऐसा कहने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि जिस तरह 2015 में हेमंत विस्वा कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे. उसी तरह बीजेपी मुकुल को आपसी मतभेदों के कारण अपनी पार्टी में शामिल करना जरूर चाहेगी. क्योंकि बीजेपी भी बंगाल के अंदर अपनी सरकार बनाने के भरपूर प्रयास कर रही है जिसके चलते मुकुल रॉय उनके लिए एक अहम हथियार साबित हो सकते हैं.
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क्या TMC की बढ़ेगी मुश्किले?
यह तो बिल्कुल साफ है कि मुकुल रॉय के इस्तीफा देने के बाद टीएमसी की मुश्किलें जरुर बढ़ेंगी क्योंकि किसी भीड़ को वोट में बदलने का काम मुकुल रॉय को अच्छी तरह से आता है और उनके इन्हीं प्रयासों के कारण ममता बनर्जी आज सरकार में बनी हुई है. सामने चेहरा ममता बनर्जी का बेशक रहता है मगर उसके पीछे का मैजिक मैनेजमेंट मुकुल रॉय ही करते हैं. मुकुल राय को पता होता है कि किस सीट से कितने वोट होने चाहिए और उसको वहां से उतने वोट निकालने में वो माहिर है तो ऐसे में टीएमसी की मुश्किलें बढ़नी लाजमी है.