ये पोस्ट किसी भी राजनीतिक पार्टी और किसी भी राजनेता को सही-गलत ठहराने के लिए नहीं है ये सिर्फ उस एक सवाल के लिए है जो हर हिंदुस्तानी के जहन में आता है किन्तु आज तक उस एक सवाल का जबाब नहीं मिला…
कभी कभी तो समझ में ये नहीं आता की हम वास्तव में हिन्दुस्तान में ही रह रहे है या कही और, हम लोग इतने निर्ल्लज और कुंठित कैसे हो सकते है की हमे ये भी न पता चले की आखिर हम मानवता की बलि कुछ तुच्छ से राजनीतिक फायदों के लिए करे.
मुद्दा ये नहीं है की केरल यूथ कांग्रेस ने सरेआम गाय को काटा इससे ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल ये है की ऐसा हुआ ही क्यों? और जिन्होंने ऐसा किया क्या वो वास्तव में हिंदुस्तानी कहलाने के लायक है?
इतिहास गवाह है की जब विनाश का समय आता है तो बुद्धि विपरीत हो जाती है, शायद ये पंक्ति इस समय कांग्रेस के अलावा और किसी पे चरितार्थ नहीं हो रही है.
हमारे भारतवर्ष में बहुत सारे ऐसे लोग है जो गाय को पूजते है और तो बहुत सारे ऐसे भी लोग है जो गाय को अपनी जान से भी ज्यादा चाहते है उनमे से एक है उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ योगी जी, ये गौ माता के लिए किसी से भी लोहा ले सकते है किन्तु क्या जब उनके सामने ये मुद्दा आया होगा तो उनका मन, विचार, आत्मा सब की सब जुजड़ी नहीं होगी.
किन्तु ऐसा होता क्यों है की आप एक तरफ किसी चीज को अपनी जान से ज्यादा मानकर उसकी रक्षा करते है तो दूसरी तरफ जब रक्षा करने का समय आता है तो आप कुछ नहीं कर पाते है… उन लोगो से जनता जबाब मांग रही है?
ये किसी मीडिया प्रमोशन की लिखी लाइन्स नहीं है!
बल्कि ये एक स्वतंत्र और सच्चे हिंदुस्तानी की अभिव्यक्ति है जो वैसे तो अपने विचारों का खुद ही विश्लेषण कर रहा होता है परन्तु हर एक चीज की एक सीमा होती है और जब वो टूटती है तो सिर्फ और सिर्फ विनाश होता है और कुछ नहीं…