चीन में 3 सितंबर से 5 सितंबर 2017 के बीच होने वाले ब्रीक्स सम्मेलन पर पूरी दुनिया की नज़रें टिकी हुई हैं। डोकलाम विवाद सुलझने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी इस सम्मेलन में शामिल होने की सहमति दे दी है। इसके साथ ही चीन को अपनी बड़ी सोच समझ कर बनाई गयी ब्रीक्स प्लस योजना पर विराम लगाना पड़ रहा है जो डोकलाम विवाद में मात मिलने के बाद चीन को मिलने वाला दूसरा बड़ा झटका है।
चीन की योजना:
सितंबर के पहले हफ्ते में चीन में होने वाले ब्रीक्स सम्मेलन में भारत के अलावा रूस, ब्राज़ील और दक्षिणी अफ्रीका इस सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। या सभी देश ब्रीक्स समूह के स्थायी सदस्य हैं। लेकिन चीन की इस सम्मेलन में कुछ और ही योजना थी। यह देश इस सम्मेलन में अपने कुछ विकासशील देशों को भी शामिल करना चाहता था। इन देशों में थायलैंड, मिस्र, तजाकिस्तान, मेक्सिको आदि नाम शामिल हैं। यह सभी देश गैर-ब्रीक्स देशों की श्रेणी में आते हैं।
यह सभी देश चीन के मित्र देश हैं और ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। गौरतलब बात यह है की यह सभी देश विश्व के नक्शे में भारत के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। इन सभी देशों को ब्रीक्स सम्मिट में स्थायी रूप से शामिल करके चीन इस सम्मेलन में अपना ज़ोर दिखाकर अपनी मजबूती विश्व के सामने रखना चाहता था। इसे सुविधा के लिए ‘ब्रीक्स प्लस’ योजना का नाम दिया गया। चीन ‘ब्रीक्स प्लस’ के अंतर्गत इन सभी देशों को ब्रीक्स समूह में शामिल करके अपने “मित्रों” की संख्या बढ़ाना चाहता था। इसके अतिरिक्त सूत्रों का मानना है की चीन इस प्रकार अपने नए “मित्र देश” पाकिस्तान को भी इस ग्रुप का हिस्सा बनाना चाहता था।
ब्रीक्स प्लस में पंक्चर:
कुछ समाचार पत्रों की मानें तो चीन के इस कदम का ब्रीक्स में शामिल अन्य देशों ने जमकर विरोध किया । उनका कहना है की चीन के इस प्रकार गैर ब्रीक्स देशों को बाद में शामिल करने से ब्रीक्स समूह के निर्धारित लक्ष्यों को भारी नुकसान पहुँच सकता है।
बीजिंग में आयोजित करी गयी एक प्रेस कान्फ्रेंस में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस बात को साझा किया की चीन अपनी ब्रीक्स प्लस की योजना को दूसरे सदस्यों देशों को ठीक से समझा नहीं पाया है। वांग का मानना है की इस दिशा में काम करने के लिए और सदस्यों देशों को समझाने के लिए और अधिक समय और तथ्यों की आवश्यकता है। इसलिए फिलहाल इस योजना पर विराम लगाया जाना ज़रूरी है। कहा यह जाता रहा है की चीन की ब्रीक्स प्लस की यह योजना का मास्टर माइंड चीन के विदेश मंत्री वांग यी ही हैं।
भारत-चीन मैत्री की संभावना:
भारत चीन सीमा विवाद सुलझने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री का चीन दौरा सामरिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है। यही बात चीन को भी अच्छी तरह से समझ में आती है। इसलिए चीन ने नरम होते हुए यह भी कहा है की भारत-चीन में सहयोग की काफी संभावनाएँ हैं।