शिवहर: जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर पूरब देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ का मंदिर जिले का एक अति-प्राचीन मंदिर हैं। जो जिले के पौराणिक ऐतिहासिक धार्मिक धरोहर के साथ-साथ लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र भी हैं। यहां प्रत्येक रविवार को बाबा भुवनेश्वरनाथ के दर्शनार्थ दर्शनार्थियों की भारी भीड़ जमा होती हैं। जबकि विशेष धार्मिक शुभ अवसरों पर देकुली धाम में भीड़ अनियंत्रित हो जाती हैं।नेपाल सहित पड़ोसी जिले से लोग भी बाबा भुवनेश्वरनाथ के दर्शनार्थ आते हैं
ऐसा माना जाता हैं कि देकुली धाम स्थित मंदिर में बाबा भुवनेश्वरनाथ के दर्शन एवं जलाभिषेक करने से सभी मनोवांछित मनोकामनाएं शीघ्र फलित होते हैं अतएव सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण आदि पड़ोसी जिले सहित नेपाल से भी बड़ी संख्या में भक्तगण इस पौराणिक पवित्र धार्मिक स्थल पर आकर धन्य हो जाते हैं।
नवरात्र में उमड़ पड़ता हैं आस्था का जनसैलाब
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में बाबा भुवनेश्वरनाथ के दर्शन एवं जलाभिषेक करना विशेष फलदायी साबित होता हैं। इसलिए नवरात्र में देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ के मंदिर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ता हैं और हर-हर महादेव के जयघोष से चारों दिशाएं गुंजायमान हो उठता हैं। जलाभिषेक करने के बाद श्रद्घालुओं के चेहरे की खुशी यह बयां करने के लिए काफी होती हैं कि बाबा भुवनेश्वरनाथ के दर्शन के बाद मन को सुखद एहसास के साथ कितनी असीम शांति मिलती हैं।
मंदिर की बनावट में धार्मिक मान्यताओं और विशेष वास्तुकला का अनोखा संगम देखने को मिलता हैं
प्रकृति की गोद में अवस्थित देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ का मंदिर अपने विशेष वास्तुकला के लिए भी सुप्रसिद्ध हैं। इसकी दीवार लगभग तीस इंच मोटी हैं जबकि गर्भगृह पंद्रह फीट नीचे हैं जिसपर सीढियां बनी हुई हैं इसी गर्भगृह के संदर्भ एक कथा प्रचलित है इसके नीचे एक सुरंग बना हुआ है जिससे होकर पांडव ने लाक्षागृह से अपनी जान बचाई थी। शिवालय के बायी ओर मां पार्वती की मंदिर है तो दाई ओर काल भैरव विराजमान हैं। वहीं मंदिर परिसर के अग्नि कोण में संकटमोचक महावीर हनुमान जी की एक बेहद आकर्षक मंदिर हैं।
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इतिहास के आईने में देकुली धाम
इतिहासकारों के अनुसार 1956 ई. में प्रकाशित अंग्रेज़ी गजट में इस धाम की चर्चा करते हुए यह उल्लेख किया गया था कि नेपाल के पशुपति नाथ एवं भारत के हरिहर क्षेत्र मंदिर के मध्य में देकुली धाम का यह पौराणिक मंदिर स्थित है। कलकत्ता हाई कोर्ट के एक अहम फैसले में भी अति प्राचीन देकुली धाम का उल्लेख किया गया है। ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यकाल में प्रयुक्त चैकीदारी रसीद पर भी देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ के इस ऐतिहासिक मंदिर का उल्लेख देखने को मिलता है।
देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ के मंदिर के संदर्भ में अनेक कवदंतियां प्रसिद्ध हैं
द्वापर काल में निर्मित बाबा भुवनेश्वरनाथ का यह मंदिर अपने अंदर पौराणिक काल के स्वर्णिम इतिहास को समेटे हुए हैं। मंदिर निर्माण के संदर्भ में यह कहा जाता है कि एक ही पत्थर को तराश कर संपूर्ण मंदिर का निर्माण किया गया हैं तथा मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवान परशुराम की तपस्या से प्रकट हुआ है एवं आदिकाल से ही बाबा भुवनेश्वरनाथ के नाम से सुप्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग के अरघा के नीचे अनंत गहराई है जिसे मापा नही जा सकता है। वहीं मंदिर के गुंबद के नीचे प्रस्तर में श्री यंत्र स्थापित है ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु जलाभिषेक के बाद श्री यंत्र का दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
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जानकारों का कहना है कि देकुली धाम से सटे उत्तर दिशा में युधिष्ठिर के ठहरने के लिए 61 तालाब खुदवाये गये थे जो विभिन्न नामो से प्रसिद्ध था। लेकिन बागमती नदी के कटाव के कारण सभी तालाब अस्तित्व विहीन हो गया। राम-सीता विवाह के साथ भी इस ऐतिहासिक मंदिर की यादें जुड़ी हुई है ऐसी मान्यता है कि राम-सीता विवाह के समय जगतजननी सीता की डोली यहां रूकी थी।
फिर भी ! उपेक्षित हैं देकुली धाम
महाभारत काल एवं रामायण काल के स्वर्णिम अतीत को अपने अंदर समेटे हुए ऐतिहासिक देकुली धाम आज उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर हैं। मंदिर के मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में वर्षों से मामला लंबित है जो देकुली धाम के जीर्णोद्धार में सबसे बड़ा बाधक। हालांकि विशेष अवसरों पर जिला प्रशासन के द्वारा मंदिर परिसर में साफ-सफाई एवं सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की जाती हैं। लेकिन देकुली धाम के जीर्णोद्धार के दृष्टिकोण से नाकाफी हैं।
निष्कर्षतः कहा जा सकता हैं कि शिवहर जिले की पहचान देकुली धाम फिर भी! उपेक्षित है।
[स्रोत- संजय कुमार]