नगर निगम में 26 गांवों को शामिल करने के विरोध में ग्रामीणों के लगातार आंदोलन व धरने को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने 15 गांवों को निगम से बाहर करने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिसकी अधिसूचना भी दस दिन में जारी करने की बात कही गई है। इस मांग को लेकर 52 दिनों से लगातार अग्रसेन चौक पर धरना चल रहा था, जिसे सांसद रमेश कौशिक ने लोगों को जूस पिलाकर खत्म कराया। वहीं जो गांव निगम से बाहर नहीं हो सके हैं उनमें विकास से लेकर टैक्स वसूली तक के लिए ग्रामीणों ने शर्तें रखी हैं। उन शर्तों पर भी सरकार की ओर से मुहर लगाने की बात कही गई है। नगर निगम जुलाई 2015 में बनने के साथ ही 26 गांवों को इसमें शामिल किया गया था। उसके बाद से ग्रामीणों का आरोप है कि निगम ने गांवों का 157 करोड़ रुपया व 3700 एकड़ पंचायतीजमीन को ट्रांसफर कराकर अपने पास रख लिया।
इसके बावजूद गांवों में विकास कार्य नहीं कराए जा रहे और लोगों पर प्रापर्टी टैक्स, बिलों में एमसी टैक्स आदि लगाने शुरू कर दिए। इस तरह गांवों को निगम में शामिल करने पर काफी नुकसान हुआ है। इस कारण ग्रामीणों ने गांवों को निगम से बाहर करने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके तहत ही ग्रामीणों ने सभी जन प्रतिनिधियों व नेताओं से मिलकर ज्ञापन दिया था। वहीं 26 गांवों के प्रतिनिधि हरियाणा भवन में सीएम मनोहर लाल से मिले थे। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती देख 26 गांवों के लोगों ने 52 दिन पहले शहर के अग्रसेन चौक पर धरना शुरू कर दिया था। इस बीच सीएम मनोहर लाल ने इस पर संज्ञान लेते हुए रोहतक कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने गांवों में जाकर लोगों से राय जानी थी कि वह निगम में रहना चाहते हैं या नहीं। लोगों की राय के आधार पर रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। इस मामले में शनिवार को डीसी विनय सिंह ने निगम विरोध समिति के पदाधिकारियों के साथ गांवों में बनी कमेटियों के लोगों को बातचीत के लिए बुलाया था, जहां सांसद रमेश कौशिक व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
लघु सचिवालय के सभागार में डीसी विनय सिंह ने ग्रामीणों को बताया कि सरकार ने 15 गांवों को निगम से बाहर करने का फैसला लिया है। इनमें नेशनल हाईवे एक के किनारे व रोहतक रोड के गांव शामिल हैं, जबकि नेशनल हाईवे से शहर की ओर वाले गांवों को बाहर नहीं किया जा सकता है। इसपर ग्रामीणों ने एक घंटे तक अकेले में बातचीत की और उसके बाद वह प्रशासन की बात पर सहमत हो गए। वहीं समिति ने नगर निगम से बाहर नहीं किए जा रहे गांवों को लेकर प्रशासन के सामने कुछ शर्त रखीं और उनके अनुसार ही काम कराए जाने की बात कही। जिस पर सहमति बनने के बाद ग्रामीण धरना खत्म करने को तैयार हो गए और सांसद रमेश कौशिक ने धरनास्थल पर पहुंचकर लोगों को जूस पिलाकर धरना खत्म कराया।
यह गांव नगर निगम से बाहर, एजुकेशन सिटी शामिल रहेगी मुरथल, नांगल खुर्द, कुमासपुर, किशोरा, दिपालपुर, मुकीमपुर, मुरशीदपुर, असावरपुर, खेवड़ा, बहालगढ़, चौहान जोशी, बैंयापुर खुर्द, बैंयापुर कलां, हरसाना कलां, हरसाना खुर्द नगर निगम से बाहर होंगे। इस तरह नेशनल हाईवे एक से पार वाले गांवों के अलावा रोहतक रोड के गांव निगम से बाहर होंगे। इनमें यह जरूर है कि नेशनल हाईवे के पार वाले किसी गांव की जमीन नेशनल हाईवे से सोनीपत शहर की ओर होगी तो वह निगम में शामिल रहेगी। वहीं राजीव गांधी एजुकेशन सिटी को नगर निगम में रखा गया है।
निगम से 15 गांवों को बाहर कर दिया गया है और इसकी अधिसूचना जल्द जारी हो जाएगी। यह पूरा मामला सीएम के संज्ञान में आया हुआ था और वह खुद ही इस मामले में कार्रवाई करवा रहे थे। यह सभी के लिए बेहतर फैसला है और निगम में रह गए गांवों के लिए भी यह बेहतर है कि वह शहर का हिस्सा बने हुए हैं और वह
शहर के काफी पास हैं। जिनमें नगर निगम की ओर से बेहतर विकास कराया जा सकेगा। – विनय सिंह, डीसी
नगर निगम विरोध समिति की मांगों को मान लिया गया है और 15 गांवों को निगम से बाहर कर दिया गया है तो अन्य गांवों में हर काम वहां के लोगों की मंजूरी के बाद ही होगा। जिसके बाद समिति ने अपना धरना खत्म कर दिया है और अब समिति कोई धरना नहीं देगी। डीसी व सांसद ने यह काफी अच्छा काम कराया है।
– महेंद्र सिंह कटारिया, प्रधान नगर निगम विरोध समिति