फेल हुआ तारीख पर तारीख वाला डायलॉग

आज के बाद अब कोई नहीं कह सकेगा की अदालतें, मुकदमों में फैसलों की जगह तारीखें देतीं हैं। सारे देश में आपराधिक और दीवानी मुकदमों का बोझ अदालतों पर कम करने के लिए दिल्ली की जिला अदालतों ने एक नयी पहल शुरू करी है। इस पहल के मुताबिक अब जो मुकदमा पाँच साल से अधिक का होगा, उसमें अब आगे की तारीखों की जगह फैसले की तारीख दी जाएगी।Adalatइस काम को सही तरीके से पूरा करने के लिए जिला जज ने तीन महीने से पुराने मुकदमों की सूची बनाने का आदेश दिया है। इस आदेश को सही रूप से लागू करने के लिए कुछ मुकदमों के अंतिम फैसलों की तारीख निश्चित करके इसकी सूचना संबंधित जिला न्यायाधीशों को भी सौंप दी गयी है।

जिला न्यायालयों के इस प्रयास के समर्थन में एक न्यायिक अधिकारी ने बताया कि सभी जिला अदालतें वर्ष 2018 तक पिछले दस वर्षों से अधिक के मामलों को निपटाने का लक्ष्य लेकर चल रहीं हैं। इस प्रयास की सूचना सभी संबन्धित पक्ष जैसे मुकदमे से जुड़े सभी लोग, जांच संस्थाएं और उन मुकदमों से जुड़े सरकारी विभाग आदि को दे दी गयी है। इस अधिकारी का मानना है की इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए लगभग 20 प्रतिशत मामलों में अंतिम फैसलों की तारीखें निश्चित कर दी गईं हैं। जो मुकदमे रह गए हैं, उन पर भी तेजी से काम चल रहा है जिसे जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा ।

[ये भी पढ़ें : प्रशासन की नाकामी को बयाँ करता, आसमां में उठता काला धुआँ]

इन मामलों में उन मुकदमों को प्राथमिकता दी जा रही है जो देश की सुरक्षा और आतंकी गतिविधि से जुड़े हुए हैं। इन मामलों को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का कार्य तूफानी गति से चल रहा है। इसी दिशा में पटियाला हाउस अदालत से जुड़ी हुई राष्ट्रीय जांच एजेंसी में लंबे समय से चल रहे मुकदमों के अंतिम फैसलों के दिन और तारीख तय कर लिए गए हैं। जैसे 2011 से गुलाम मुहम्मद बनाम एनआईए और पिछले छह सालों से चल रहे एक मुकदमा जिसमें एंथनी सिमरे और एनआईए पक्ष हैं, दोनों मुकदमों को 31 दिसंबर 2018 और 30 सितंबर 2018 तक क्रमशः फैसले की तारीखें दे दी गईं हैं।

[ये भी पढ़ें : फैसले से रेप पीड़िताओं को इंसाफ मगर हिंसा में हुई मौतों का जिम्मेदार कौन?]

जिला अदालतों के इस लक्ष्य के निर्धारण से जहां एक ओर संबन्धित जांच एजेंसियों का उत्तरदायित्व बढ़ गया है वहीं दूसरी ओर संबन्धित पक्षों को भी अब मुकदमों में जानबूझकर देर करवाने के लिए तारीखें लेना अब आसान नहीं होगा। जिला अदालतों ने सभी जांच एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दे दिये हैं कि उन्हें मुकदमों से जुड़े गवाह और सबूत समय से पेश करने होंगे। इसी के साथ सभी संबन्धित पक्षकारों को भी सूचित और निर्देशित किया गया है कि उन्हें निर्धारित समय पर ही अपने-अपने पक्ष रखने होंगे क्यूंकी उन्हें किसी भी प्रकार से इस काम के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा ।

पक्षकार इच्छित जानकारी अदालतें से ले सकते हैं:

मुकदमे से जुड़े हुए पक्षकार यदि  चाहें तो अपने मुकदमे से जुड़ी जानकारी अदालत से ले सकते हैं। हालांकि अभी तेज रफ्तार वाली नीति कुछ प्रमुख मामलों में ही अपनाई जा रही है लेकिन शेष मामलों को भी इस श्रेणी में लाया जाएगा। जिला जज के आदेश के अनुसार, यह काम आने वाले तीन महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद सभी जिला अदालतें अपनी सूची को जनता के लिए सार्वजनिक कर देंगी।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.