प्रस्तुत पक्तियों में कवयित्री अपनी ख्वाहिशों का वर्णन कर रही है, उनके मन में कई ख्वाहिशें है वह इस कविता के ज़रिये यह सोच रही है कि उनके जीवन में वो समय कब आयेगा जब उनकी सारी ख्वाहिशें पूरी होजायेगी और उनका पूरा परिवार उनपर गर्व करेगा। अपनी कविता ये ज़रिये वह दुनियाँ को बताना चाहती है जैसे उनकी कई ख्वाहिशें है वैसे ही दुनियाँ में बहुत से लोगो की बहुत सारी ख्वाहिश होती है. वह सोचती है हर इंसान को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए एक अच्छी सोच और नियमित रूप से करी गई मेहनत एक दिन ज़रूर रंग लाती है, और सबसे बड़ी बात अच्छा सोचने के कोई पैसे नहीं लगते तो क्यों न अच्छा सोच कर हम खुद को प्रोत्साहित करे और अच्छे विचार के साथ अपने ख्वाहिशों के सपने देखे।
अच्छी सोच ख्वाहिशे के रास्ते पर हर मोड़ पर काम आयेगी ,मेरी बात जिसने समझी उसकी किस्मत भी एक दिन चमक जायेगी।
अब आप इस कविता का आनंद ले
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
मेरी मेहनत रंग लायेगी,
करके अपार खुश मुझे,
वो मेरे अपनों को भी हँसायेगी।
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
मेरा नाम इतिहास के पन्नो मे जगमगायेगा।
हौसला देकर सबको,
वो मुझे ख़ुशी से रुलायेगा।
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
इन अँखियों से ख़ुशी की वर्षा होगी,
महसूस करुँगी ऐसे,
दुखो को कर परे, बन बैठा कोई जोगी।
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
अपनों की हर ख्वाहिश मैं पूरी कर पाऊँगी,
अपने को थाम कर,
मैं दूसरे के जीवन में भी ख़ुशी का दिया जलाऊँगी।
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न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
मेरे अपने मेरे पर गर्व करेंगे।
नाज़ कर मुझपर,
क्या मेरी तारीफ़ में, वो भी कुछ कहेंगे?
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
मेरी कलाओं का तेज़ चमकेगा,
मुझे उठाके, सबकी नज़रो में,
वो मेरी हर ख्वाहिश पूरी पर देगा।
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
मेरी परीक्षाओं का सिलसिला खतम होजायेगा।
आत्म निर्भर कर मुझे,
मेरी इन कलाओं के ज़रिये
वो दूसरों को भी राह दिखायेगा।
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
न जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पे,
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.
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