बीड जिला को महाराष्ट्र में गन्ने श्रमिकों का जिला कहा जाता है महाराष्ट्र राज्य में कई चीनी कारखानों में बीड के ज्यादातर कर्मचारी हैं। बालाघाट पर्वत श्रृंखलाओं द्वारा गठित जिले का हिस्सा दुर्गम और पहाड़ी है। बीड एक अपेक्षाकृत पिछड़े जिले हैं। जिले में मराठी, हिंदी, भाषाओं के अलावा भी बोली जाती है
गन्ने श्रमिक होने के कारण यहा के लोग छ महीने चीनी कारखाना मैं काम करते है । और छ महीना आपने गांव मै रहतें है । इसी वजह से यहा के गन्ने श्रमिक के बचो को स्कूल का ठीकना नही रहता है । यहा रोजगार के साधन कुछ भी नही है उसके वजह से यहा के लोग बेकार हों गये है ।
पंकजा मुंडे ने कॉर्पोरेट और सामाजिक संगटन को लाके यहा के लोगों को एक नवचेतना देने का काम किया है । आज के सह्याद्रि राज्य गेस्ट हाउस में, एक समझौता ज्ञापन पर कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए गए थे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, गिरीश महाजन, जल संसाधन मंत्री, आदिवासी विकास मंत्री विष्णु सवारा, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन मंत्री महादेव जानकर है, शहरी विकास, आवास (शहर), राज्य मंत्री डॉ रंजीत पाटिल, प्रमुख झुनझुनवाला राकेश झुनझुनवाला फाउंडेशन की उपस्थिति, डी मार्ट संस्थापक राधाकृष्ण दमानी, इनाम होल्डिंग्स के चेयरमैन वल्लभ भंसाली।
बीड जिले में गांवों के विकास के बारे में एटीई फाउंडेशन, झुनझुनवाला फाउंडेशन, आर के धमाणी और इनाम होल्डिंग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन की मदद से, गांवों में अन्य विकास कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा, गांवों का समग्र विकास इन सामाजिक संस्थानों और सरकार की विभिन्न योजनाओं के योगदान के माध्यम से किया जाएगा।
[स्रोत- बालू राऊत]