नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती आज

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रांत उड़ीसा डिवीजन के कटक में 23 जनवरी 1897 में हुआ था| उनके पिता जानकीनाथ बोस तथा माता प्रभावित दत्त थी। उनके पिताजी जानकीनाथ बोस कटक के एक मशहूर वकील थे । सुभाष चंद्र बोस के शुरुआती शिक्षा बैपटिस्ट मिशन का प्रोटेस्टेंट यूरोपीयन स्कूल कटक से 1902 में तथा रेनशाँ कॉलेजिएट स्कूल से हुई ,तथा आगे की पढ़ाई प्रेसिडेंट कॉलेज कलकत्ता व स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने दर्शनशास्त्र में बी.ए किया कैंब्रिज विश्वविद्यालय से बी.ए (मानसिक और नैतिक विज्ञान) मे । सुभाष चंद्र बोस को नेताजी के नाम से भी पुकारा जाता है।

1920 में उन्होंने इंग्लैंड से सिविल सर्विस परीक्षा पास की ,लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने जॉब छोड़ दी थी, जॉब छोड़ने के बाद भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना से वह काफी विचलित थे ।

सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अगृणी तथा सबसे बड़े नेता थे । द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया नारा ‘जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया ।

नेताजी को 1938 में आजाद हिंद फौज का सुप्रीम कमांडर तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया 1937 में उनका विवाह एमिली शेकली से हुआ। उनकी एक बेटी थी जिसका नाम अनिता बोस था।

कांग्रेस में महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस दोनों की अलग अलग विचारधारा वाले थे जहां एक और महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, तो वही बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिया थे। इसलिए यह दोनों एक दूसरे के विचारों से सहमत नहीं थे हालांकि दोनों का मकसद सिर्फ एक ही था ,भारत को आजादी दिलाना नेताजी का एक ऐसा मानना था कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है तो वहीं दूसरी और गांधीजी अहिंसा आंदोलन में विश्वास रखते थे  |

बोस ने जवाहरलाल नेहरू का अनुसरण कांग्रेस के भीतर एक ऐसे समूह में किया जो संवैधानिक सुधार के लिए कम उत्सुक था, और समाजवाद के लिए अधिक खुला गया खुला था । 1938 में वे  कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1939 में फिर से चुने जाने के बाद उनके और गांधीजी के बीच मतभेद पैदा हो गए| कांग्रेस में वरिष्ठ नेतृतव ने गांधी का समर्थन किया और बोस ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और अंततः उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया ।

अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेता जी ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना करते हुए आजाद हिंद फौज का गठन किया । इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा म्यानमार पहुंचे ।यहां उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया|

बोस फरवरी 1943 में एक जर्मन पनडुब्बी में सवार हुए। मेडागास्कर से उन्हें एक जापानी पनडु्बी में स्थानांतरित कर दिया गया जहां से वे जापानी आयोजित सुमात्रा में उतरे । मई 1943 में जापानी समर्थन के साथ बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA)को नया रूप दिया, जिससे ब्रिटिश भारतीय सेना के युद्ध के भारतीय कैदी शामिल थे। जिन्हें सिंगापुर की लड़ाई में जापानियों ने पकड़ लिया था। जापान के कब्जे वाले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर स्वतंत्र भारत की एक अंतरिम सरकार घोषित की गई ,और इसकी अध्यक्षता बोस ने की।

18 अगस्त 1945 को जापानी ताइवान में उनका ओवरलोडेड विमान दुर्घटनाग्रस्त होने पर प्राप्त हुई थर्ड डिग्री बर्न से उनकी मृत्यु हो गई

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