वर्ष के अक्टूबर में भाजपा कुछ ऐसी घोषणा कर सकती है जिसे हम (चुनावी ब्रह्मास्त्र) कह सकते हैं

सपा, बसपा, रालोद तथा कांग्रेस समेत अन्य दलों के अघोषित पैक्ट ने भाजपा को अंदर तक हिला दिया है उपचुनावों में मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिराने के बाद भी भाजपा को करारी हार मिली फूलपुर गोरखपुर के बाद कैराना में हुए उपचुनावों में मायूसी हाथ लगने के बाद भाजपा आत्ममंथन को मजबूर हो गई है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के कार्यकाल में लगे साइनिंग इंडियन के नारे की तरह मोदी सरकार में डिजिटल इंडिया का नारा सीखा होता देखकर 2019 के सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव में हार के बाद पार्टी में अंदरखाने भारी उथल-पुथल है कोई लोकसभा चुनावों में टिकट काटने तो कोई उपचुनाव में आए परिणाम से डरा हुआ है पार्टी में हालात सामान्य करने एवं अगले चुनाव के लिए भाजपा ने ठोस रणनीति बनाना शुरू कर दिया है ताकि भाजपा में कुलबुला रहे कई दिग्गज अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आश्वस्त हो जाएं सपा बसपा रालोद तथा कांग्रेस आदि पार्टियों के अघोषित गठबंधन की गांठ को कमजोर करने के लिए भाजपा ने ताना बाना बुना शुरू कर दिया है।

वर्ष के अक्टूबर में भाजपा कुछ ऐसी घोषणा कर सकती है जिसे हम (चुनावी ब्रह्मास्त्र) कह सकते हैं

6 जून को एटा में ब्रज क्षेत्र के सभी सांसदों एवं विधायकों के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे बैठक करेंगे बैठक में चुनावी ब्रह्मास्त्र मंत्र के साथ ही संगठन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए गहन विचार होगा चुनावी ब्रह्मास्त्र की खोज और उसको चलाने के लिए जनप्रतिनिधियों में समन्वय होना बेहद जरूरी है इस कारण पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बदायूं में सांसद और विधायकों के साथ बैठक की जिसमें आगरा से भी विधायकों ने भाग लिया 6 जून को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे एटा में ब्रज क्षेत्र के सांसदों और विधायकों के बीच खेल को समाप्त कर समन्वय स्थापित करने का प्रयास करेंगे साथ ही लोकसभा चुनावों की तैयारी को लेकर उनके साथ मंथन करेंगे वर्ष 2019 में भाजपा के शीर्ष नेता इस चुनावी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करेंगे यह जानने के लिए खुद भाजपाई भी उत्सुक हैं । सूत्रों का कहना है जून के पूरे महीने में भाजपा में बैठकों का दौर चलेगा इसके बाद भाजपा वर्ष 2019 का लक्ष्य भेदने के लिए अपने पुराने रंग में दिखाई दे सकती है जुलाई और अगस्त में भाजपा सरकार कई अहम और ज्वलंत मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णय लेकर अपने सहयोगी संगठनों की मदद न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में राजनीतिक माहौल बदलने का प्रयास कर सकती है वर्ष 2014 के लोकसभा
चुनाव में भाजपा ने जिन मुद्दों को अपने चुनाव एजेंडे में शामिल किया था उन पर भी सरकार के आखिरी वर्ष में कुछ निर्णय लिया जा सकता है विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि 2019 में लोकसभा चुनावों में भाजपा का ब्रह्मास्त्र क्या होगा इसकी तस्वीर इस वर्ष अक्टूबर तक बिल्कुल साफ हो जाएगी दरअसल भाजपा की नजर अपने विरोधी दलों के जातीय गठजोड़ पर है इसे नहीं तोड़ा गया तो अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है जातियों के गठजोड़ के बूते विरोधी दल बाजी मार सकते हैं इससे भाजपा समाज की विभिन्न जातियों और वर्गों को लेकर बड़ा गठजोड़ खड़ा कर सकती है।

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