1960 में फिल्म ‘चौदहवी का चाँद’ में वहीदा रहमान के लिए शकील बदायूंनी द्वारा लिखित गीत “चौदहवी का चाँद हो या आफताब हो जो भी तुम खुदा की कसम लाजवाब हो” वहीदा के उपर कितना सटीक बैठता हैं इसका वर्णन शब्दों में कर पाना संभव नहीं हैं। रूपहले पर्दे पर जबरदस्त सुपरहिट साबित हुई इस गाने ने सिनेप्रेमियों को वहीदा रहमान का दीवाना बना दिया। फिल्मी पंडितों को यह मानना पड़ा कि वे अपने नाम की तरह लाजवाब हैं।[Image Source: Dainik Jagran]
शब्द वहीदा का शाब्दिक अर्थ लाजवाब होता हैं और अपने जमाने की दिलकश अदाकारा वहीदा रहमान ने अपने जानदार, शानदार अभिनय क्षमता के बल पर अपने नाम के अर्थ लाजवाब को सार्थक साबित किया । वहीदा रहमान जब अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की तब गुरुदत्त साहब को उनका नाम काफी लम्बा और गैरफिल्मी लगा इसलिए उन्होंने वहीदा रहमान को अपना नाम बदलने का सुझाव दिया। लेकिन उन्होंने अपना नाम बदलने से पूरी तरह इंकार कर दिया जबकि उस समय बॉलीवुड में अपना नाम बदलने का प्रचलन जोरो पर था।
1956 में फिल्म सी.आई.डी से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाली वहीदा रहमान का जन्म 3 फरवरी 1938 में हैदराबाद के एक सुशिक्षित मुस्लिम परिवार में हुआ ।अपने नाम वहीदा अर्थात लाजवाब को साकार करती हिन्दी फिल्मों सदाबहार अभिनेत्री वहीदा रहमान ने करिश्माई अभिनय क्षमता से लगभग पाँच दशकों से सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज कर रही हैं । बचपन से ही संगीत और नृत्य में रूचि रखने वाली वहीदा रहमान 13 वर्ष की उम्र में ही नृत्य कला में पारंगत थी ।
वहीदा रहमान को लाजवाब साबित करती हुई उपलब्धियां
1966 में फिल्म गाईड में बेहतर अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार ।
1968 मेें फिल्म नीलकमल में शानदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार।
1971 में फिल्म रेशमा और शेरा में जानदार अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार ।
1972 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री का सम्मान ।
1994 में लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड ।
2006 में एन.टी.आर पुरस्कार।
2011 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के पद्मभूषण सम्मान ।
वहीदा रहमान की जिदंगी की अनछुए पहलू
वहीदा रहमान के पिता जिलाधिकारी जैसे उच्च पद पर तैनात थे लेकिन 1948 में जब वहीदा रहमान मात्र नौ वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई एवं पिता की मृत्यु के कुछ सालों के बाद उनकी मां का भी देहांत हो गया। बिना माता-पिता के अपनी जिंदगी संवारना बेहद कठिन होता हैं लेकिन वहीदा रहमान लाजवाब जो ठहरी। वहीदा रहमान का जादू सिर्फ सिनेप्रेमियों के सर चढ़कर बोला ऐसा नहीं अपने जमाने के सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता,निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त साहब के उपर उनकी खूबसूरती का जादू ऐसा चला कि वे वहीदा रहमान से दिल लगाकर सुखी-संपन्न अपना दाम्पत्य जीवन तबाह कर डाला और ऐसा माना जाता है कि विफल प्रेम संबंध के कारण उन्होंने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी।
लेकिन ये अलग बात हैं कि उनकी जोड़ी फिल्मों में महान अभिनेता देव आनंद साहब के साथ खूब जमी। दोनों ने मिलकर हिंदी फिल्म जगत को पांच सुपरहिट फिल्में दी। ये फिल्में थी- सीआईडी, सोलहवां साल, काला बाजार, बात एक रात की, गाईड। लाजवाब वहीदा रहमान को उनके जन्मदिन पर शुभकामना सहित ढेर सारी बधाईया।
[स्रोत- संजय कुमार]