हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन सीटू के सैकड़ों श्रमिकों ने आज बोरिया गेट पर प्रदर्शन कर इस मांग पर बल दिया कि शीघ्र से शीघ्र एनजेसीएस बैठक बुलाई जानी चाहिए । ज्ञातव्य हो कि भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मियों सहित पूरे सेल का वेतन समझौता जनवरी 2017 से लंबित है । कर्मियों में एनजेसीएस वेतन वार्ता प्रारंभ न होने से लगातार आक्रोश बढ़ रहा है । सीटू ने ऐसे प्रदर्शन लगातार करने की आवश्यकता बताई है ताकि प्रबंधन इस पर सकारात्मक कदम उठाये ।
हर दस साल में आता है संकट –
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू नेताओं ने कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था में हर 10 साल में एक बार औद्योगिक संकट का साइकिल का आना सामान्य सी बात है । जिसके चलते मौजूदा समय में भारत सहित पूरा विश्व पूंजीवादी संकट से गुजर रहा है । संकट का यह दौर धीरे धीरे छंट रहा है और जल्द ही हालात सुधरेंगे ।
सेल संकट से उबर चुका, जल्द हो समझौता –
वैश्विक पूंजीवादी संकट के बावजूद धीरे धीरे सेल उबरने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है । ऐसे समय में वेतन वार्ता को शुरू कर उसे सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास करना कर्मियों के मनोबल एवं कंपनी के हित में एक सही कदम होगा । इससे कर्मी और उत्साह से कार्य करेंगे और नयी परियोजनाएं उतनी ही बेहतर परिणाम हासिल कर पाएंगी । जो कंपनी को और मजबूती देगा ।
[ये भी पढ़ें: बच्चों की देख-रेख व संरक्षण के लिए कार्यशाला, नगर निगम के प्रतिनिधियों को दिया गया प्रशिक्षण]
संयुक्त एवं स्वतंत्र दोनों आंदोलन जरूरी –
प्रदर्शन के दौरान सीटू नेताओं ने कहा कि वेतन वार्ता, किसी भी एक यूनियन के बस की बात नहीं है । इसके लिए संयुक्त प्रयास किया जाना बहुत आवश्यक है । संयुक्त प्रयास के दौरान अपने स्वतंत्र गतिविधियों को संचालित करना भी उतना ही आवश्यक है । संयुक्त प्रयासों में शामिल होने वाले कर्मी किसी ना किसी यूनियन के साथ जुड़े रहते हैं, एवं स्वतंत्र आंदोलनों को संचालित कर कर्मियों को सक्रिय बनाते हुए ही संयुक्त आंदोलनों में शामिल करवाया जा सकता है । इसीलिए संयुक्त एवं स्वतंत्रत आंदोलन एक दूसरे के पर्याय के रूप में नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ समानांतर में चलाते रहना जरूरी होता है ।
एनजेसीएस को कोसने वाले पहले काम करके दिखाएँ –
प्रदर्शन के दौरान सीटू नेताओं ने कहा कि एनजेसीएस को कोसना आजकल कुछ यूनियनों का फैशन सा बन गया है । लगातार हर बात पर टीका टिप्पणी करने वाले यूनियन पहले कुछ करके दिखाएं । एनजेसीएस का गठन करने से लेकर आज तक कर्मियों के हक में जितनी भी मागों एवं सुविधाओं को हासिल किया गया है, वह स्थानीय स्तर पर स्थानीय प्रबंधन के साथ हासिल करना संभव नहीं है । अपने आप को कर्मियों के बीच लड़ता दिखाने एवं संघर्षशील साबित करने की होड़ में एनजेसीएस को कोसने वाली यूनियनें लगातार संयंत्र एव॔ कर्मी विरोधी कार्य को ही अंजाम दे रहे हैं ।
[ये भी पढ़ें: वित्तीय अनियमियता की शिकायत पर तर्रीघाट ग्राम पंचायत का रिकार्ड जब्त, होगी जांच]
पीपीएफ ब्याज दरों में कटौती केंद्र की साजिश –
कॉरपोरेट घरानों को मदद पहुंचाने के लिए, लगातार सीपीएफ के ब्याज दरों में थोड़ा-थोड़ा करके कटौती की जा रही है । श्रमिक नेताओं ने कहा, केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक बैंक सहित अन्य वित्तीय संस्थाओं की ब्याज दर मैं लगातार कटौती करते जा रही है । क्योंकि बड़े कॉरपोरेट घराने बैंक एवं इन्हीं वित्तीय संस्थाओं से ब्याज पर पैसा लेते हैं इसीलिए ब्याज दर जितना कम होगा उन कॉरपोरेट घरानों को उतना ही ज्यादा मदद पहुंचेगा ।
भिलाई ट्रस्ट से 5 करोड़ पूरे देश से 650 करोड़ की कटौती –
पी.एफ.ब्याज दर कटौती पर सीटू नेताओं ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र का सीपीएफ ट्रस्ट लगभग 5000 करोड़ का ट्रस्ट है । यदि सीपीएफ क्या ब्याज दर में 0.1 प्रतिशत की कटौती की जाती है तो कर्मियों को दिए जाने वाले ब्याज में 5 करोड़ रुपए कम देना होगा । पूरे देश के अंदर PF में जमा पर कर्मियों के दिए जाने वाले ब्याज का आकलन करने पर यह लगभग 650 करोड़ों रुपए की कटौती कर्मियों की जेब से की जायेगी ।
[स्रोत- घनश्याम जी. बैरागी]