हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीय तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नंवबर दोपहर 02.36 बजे से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 15 नंवबर को दोपहर 01.47 बजे होगा. उदिया तिथि के चलते भाई दूज का त्योहार 15 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा|
भाई दूज, जिसे यह भी भाई फूलपत्रिका, भैया दूज या भाई तिका भी कहते हैं, एक हिन्दू पर्व है जो दीपावली के बाद दो दिन के बाद मनाया जाता है। यह एक विशेष दिन है जब बहन अपने भाई की लंका की तरह उसका मुँह कला करती है और उसे रक्षा बंधन के बाद का सम्मान देती है।
भाई दूज का आयोजन भारतवर्ष में विभिन्न रूपों में होता है, लेकिन यह सामान्यत: भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में प्रमुखत: हिंदू पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई का स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख-शांति की कामना करती है और भाई बहन के प्रति अपना समर्पण और प्रेम दिखाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उन्हें मिठाई खिलाकर उनकी लंबी आयु और खुशी की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व बहन-भाई के प्यार और समर्पण का परिचय कराता है और परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के प्रति समर्पित करता है।
भाई दूज का महत्व इसे भारतीय समाज में एक अद्भुत बंधन के रूप में बनाए रखता है, जो प्यार और समर्पण की अद्वितीयता को दर्शाता है। इस दिन को खास बनाने के लिए परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और परंपरागत रूप से इस अद्वितीय रिश्ते को मनाते हैं।
तिलक करने की विधि
- किसी भी पूजा-पाठ से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में भाई दूज पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
- उसके बाद तिलक करने से पहले थाली में रोली, अक्षत और गोला और मिठाई रख लें।
- फिर मुहूर्त के अनुसार, भाई का तिलक करें। बाद में भाई को नारियल का गोला भी दें।
- इस दौरान अपने भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं।
- वहीं भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट दें।