बाबरी विध्वंस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ ट्रायल में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 22 मार्च को अपना फैसला सुना सकती है, साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि इससे जुड़े दोनों मामलों की सुनवाई संयुक्त कोर्ट में हो, इसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी सहित कई बीजेपी नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है.
कोर्ट ने यह संकेत दिए की 13 बीजेपी नेताओं सहित अन्य हिंदूवादी संगठन के नेताओंं को 1992 में बाबरी विध्वंस के मामले में साजिश का आरोपी बनाया जा सकता है, यह संकेत कोर्ट ने सीबीआई की दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है, गौरतलब है की 2010 में हाईकोर्ट ने आडवाणी, मुरली मनोहरी जोशी, उमा भारती समेत कई अन्य नेताओं को आपराधिक षडयंत्र के आरोपों से बरी कर दिया था, हाई कोर्ट ने विशेष अदालत की पुष्टि करते हुए आईपीसी की धारा 120बी यानि आपराधिक साजिश के आरोप से बरी किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की मामले की सुनवाई 2 अलग अदालत में क्यों की जा रही है, रायबरेली में चल रहे मुकदमे का ट्रांसफर लखनऊ में क्यों नहीं कर सकते क्योंकि उससे जुड़ा एक मामला लखनऊ कोर्ट में चल रहा है,वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा की अगर इन लोगों पर जब हाईकोर्ट ने आपराधिक साजिश रचने की धारा हटाई तो पूरक आरोपपत्र दाखिल क्यों नहीं किया गया.
आपको बता दे की 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी विध्वंस हुआ था जब कल्याण सिंह यूपी मुख्यमंत्री थे, बाबरी विध्वंस के बाद देश भर में दंगे भड़के थे जिसमें सैंकड़ों लोगों की जान गई थी, असल में हिंदू संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने की मांग करते हुए आए है्ं, केंद्र के सत्ताधारी बीजेपी भी इसे अपने घोषणापत्र में शामिल करते हुए आई है.