कम से कम

kam se kam hindi kavita

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री समाज से अपने रिश्तों को जोड़े रखने की प्रेरणा दे रही है. वह कहती है कि बड़ी बड़ी बातें छोटी-छोटी बातों को जोड़ कर ही बनती है। हममे इतनी समझ होनी चाहिये कि हम यह जान पाये कि कौन हमारे लिए अच्छा सोच रहा है और कौन बुरा, दूसरों की बातों में आके या दूसरों को देख कर हमे अपने घर में झगड़े नहीं करने चाहिये, और अगर झगड़ा हो भी जाये तो उसे अपने आप सुलझाना चाहिये।

हम सब यहाँ कुछ ही पल के मेहमान है ये बात हम क्यों नहीं समझते क्यों इस बात को नज़र अंदाज़ कर हम दूसरों से उलझते है। याद रहे जहाँ प्यार है वहां लड़ाई भी होगी। इस बात पर हम सबको बच्चों से प्रेरणा लेनी चाहिये जैसे बच्चे लड़ झगड़ कर फिर दोस्त बन जाते है वैसे ही हमे भी करना चाहिये।

अब आप इस कविया का आनंद ले

कम से कम उनसे तो न झगड़ो,
जिन्होंने तुम्हें कभी तो समझा,
गलत वक़्त की सुई को कह दो,
तू बस वही-कही थम जा।
अब आगे एक नया जीवन हम बितायेंगे,
पुरानी बातों को अब हम फिरसे अपने जीवन में नहीं दोहरायेंगे।

कम से कम उन्हें तो मान दो,
जिन्होंने तुम्हें ही अपना जीवन बना लिया।
कैसे उनसे मुँह मोड़ कर,
तुमने अपना अलग कही और बसेरा बसा लिया।

कम से कम अपने अंदर छुपी,
उस अच्छी आवाज़ को तो सुनो।
दूसरों की गलत बातों में आकर,
तुम अपने लिए गलत रास्ता न चुनो।

कम से कम दूसरों की नहीं,
तो अपनी उम्मीदों पर उत्तर के तो देखो,
अपने को महान बनाकर,
दूसरों पर व्यंगों के बाढ़ न फेको।

कम से कम तुम ही खुद को,
बदल ने की कोशिश करो।
जो हो अगर सही, फिर किसी से न डरो।
तुम्हारा सच बस, तुम्हारा ईश्वर ही जनता है,
इन्साफ देता सही को, इसलिए हर कोई उसे मानता हैं.

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.

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