आदर्श जाट महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने बड़ी गहनता से राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष श्री रामनारायण चौधरी के इस्तीफे पर मंथन किया वह महसूस किया कि रामनारायण चौधरी जी के साथ हमेशा राष्ट्रीय कार्यकारिणी मजबूती के साथ खड़ी रही है चाहे कोई भी परिस्थितियां आई हो परंतु राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर पवनजीत बनवाला ने कभी भी राजस्थान के मामले में दखलंदाजी नहीं की।यह भी सत्य है कि राजस्थान में आदर्श जाट महासभा को खड़ा करने में रामनारायण चौधरी जी की अहम भूमिका रही है परंतु जिस तरह से उन्होंने पिछले दिनों इस्तीफा दिया और जिस ढंग से इस्तीफा दिया उसे किसी भी कीमत पर उचित करार नहीं दिया जा सकता ।
रामनारायण चौधरी जी को आदर्श जाट महासभा के संविधान के बारे में भली-भांति जजानकारी है और इस्तीफा देने की जो प्रक्रिया संविधान में है उन्होंने उस का भी पालन नहीं किया। क्योंकि भावुकता से कभी भी किसी भी कोम का नेतृत्व नहीं किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने भावुक होकर इस्तीफा दिया तो उसे भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। उनके इस्तीफे पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने बहुत सोच समझ कर फैसला लिया कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों ना हो संगठन से ऊपर नहीं हो सकता और संगठन में अनुशासन व पद की गरिमा का सब को सम्मान करना ही पड़ेगा।
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हालांकि संगठन को पता है कि रामनारायण चौधरी के राजस्थान इकाई के प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटने व उनके इस्तीफे से जाट समाज को व आदर्श जाट महासभा संगठन को बहुत भारी नुकसान होगा। परंतु कभी-कभी व्यापक हितों को देखते हुए कड़े फैसले लिए जाते हैं और इसी कड़ी में आदर्श जाट महासभा ने फैसला किया है कि रामनारायण चौधरी 1 हफ्ते के अंदर-अंदर राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दिए गए इस्तीफे के बारे में अपनी स्थिति को स्पष्ट करें अन्यथा राजस्थान में रामनारायण चौधरी जी के इस्तीफे को स्वीकार करके कोई अन्य प्रदेश अध्यक्ष चुनने पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी स्वतंत्र होगी।अब रामनारायण चौधरी जी के विकल्प के रूप में आदर्श जाट महासभा के पास जो है जिसमें भंवर आंगनवा व अन्य शामिल है। उन सबके हर पहलू पर मंथन किया है और इसका खुलासा 1 सप्ताह के अंदर आने वाले राम नारायण जी के जवाब पर निर्भर करेगा। आदर्श जाट महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उत्तर प्रदेश के संजय तेवतिया को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला लिया है। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में फेरबदल भी किया गया है। लक्ष्मण चौधरी जी को गुजरात प्रदेश इकाई के गठन की जिम्मेवारी सौंपी गई है।
इसके साथ-साथ उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल, बिहार, असम कि कार्यकारिणी के सदस्यों का भी चुनाव किया गया है। महासभा की कार्यकारिणी में लगाए गए 4 दिन के चिंतन शिविर के हर पहलू की गहनता से समीक्षा की है और पहले दिन शाम को अपनी परिस्थितियों की जिम्मेवारी समझते हुए उसके पश्चात दूसरे दिन, तीसरे दिन और चौथे दिन शानदार ढंग से चिंतन शिविर का संचालन हुआ उसके लिए बधाई भी दी गई है।
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हालांकि पहले दिन शाम को संचालन में जो खामियां रही उसे सुधारने के लिए जिस तरह से राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने रात के समय नरवाना में पूरे 4 दिन चिंतन शिविर को जिम्मेवारी से चलाने का फैसला किया व दूसरे दिन से सफलतापूर्वक मंच संचालन स्वयं अपने हाथ में लेकर शिविर को 4 दिन तक सफलता की मुकाम तक पहुंचाने का कार्य किया व इस शिविर में दूसरे, तीसरे व चौथे दिन युवाओं व लोकल लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की गई व नरवाना खाप के प्रधान चौधरी चतर सिंह ने अपने हाथ में जिम्मेवारी ली उससे महासभा का हौसला भी बहुत बुलंद हुआ है।
हालांकि चिंतन शिविर के मंच संचालन की सारी जिम्मेवारी रामनारायण जी चौधरी की युवा टीम की निर्धारित की गई थी और हमने यही उम्मीद की थी की रामनारायण चौधरी जी की टीम से हरियाणा के युवा बच्चे कुछ सामाजिक कार्य व जिम्मेदारी सीखेंगे लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। परंतु बधाई के पात्र हैं नरवाणा के लोकल पदाधिकारी व बनवाला खाप के जिमेदार लोग जिन्होंने पहले दिन की रात के बाद शिविर की पूरी जिम्मेदारी मजबूती के साथ हमारे साथ खड़े होकर निभाई।
पहले दिन जब रात को व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोकल गणमान्य व्यक्तियों को बुलाया गया तब सभी ने स्पष्ट रूप से कहा कि मंच संचालन की जिम्मेदारी राजस्थान के साथियों के भरोसे रहने की बजाय अगर पहले से ही हम पूरी व्यवस्था को स्वयं संभालते तो और भी अच्छा होता परंतु अब हम और भी अच्छा करेंगे। और जिस ढंग से आगामी 3 दिनों में नरवाणा के स्थानीय पदाधिकारियों ने इस चिंतन शिविर को बहुत ही लाजवाब, अनोखे व अनूठे ढंग से चलाया उसकी चारों तरफ से सहराना भी हुई है। इस चिंतन शिविर ने यह भी साफ कर दिया है कि चाहे कितने ही लोग साथ छोड़ जाए परंतु मजबूती के साथ खड़े रहने वाले चंद पदाधिकारी भी बड़े से बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं और संगठन से बड़ा कोई नहीं होता ये भी साबित कर दिया है।
कुछ लोगे पहले दिन ही इस चिंतन शिविर से चले गए थे और डॉक्टर बनवाला भी एक बार तो थोड़ा निराश से लग रहे थे परंतु बाद में जो बचे हुए पदाधिकारी थे जिन्होंने पूरे 4 दिन तक रुकने का फैसला किया और लोकल लोगों की रात को मीटिंग बुलाकर इस चिंतन शिविर को आगामी 12 फरवरी तक सफलतापूर्वक चलाने की रणनीति बनाई वो सभी भी बधाई के पात्र हैं। और आदर्श जाट महासभा ने इस चिंतन शिविर में किसी भी व्यक्ति से कोई भी रजिस्ट्रेशन फीस नहीं ली और ना ही कोई चंदे की रसीद इस शिविर के लिए काटी गई। जो थोड़ा बहुत सहयोग कुछ लोगों ने दिया उसका पूरा हिसाब किताब पूरी कार्यकारिणी ने मौके पर ही बैठकर किया।
योजन में कम पड़ रहे खर्च की जिम्मेवारी महासभा के राष्ट्रीय प्रधान डॉक्टर पवनजीत बनवाला ने यह कहते हुए जेब से भरने की बात कही कि चंदा लेने की बजाए हम जेब से ही देना पसंद करेंगे व कम पड़ रहे एक लाख से ऊपर रुपयों की जिम्मेदारी खुद अपनी जेब से डॉक्टर पवनजीत बनवाला ने वहन की। इस बात के लिए उपस्थित सभी पदाधिकारी व लोगों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर पवनजीत बनवाला सराहना हुई कि किस तरह से बहुत कम पैसे आने के बावजूद महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी जेब से खर्च किया उसके लिए भी उन को सराहा भी गया।
इसके साथ-साथ शिविर में मीडिया के बारे में जो जाट समाज में अवधारणा थी उसका भी अब की बार उलट देखा गया। मीडिया ने बिल्कुल सच्ची व आंखों देखी सही रिपोर्ट जनता के सामने रखी। हरियाणा के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, पंजाब केसरी, हरिभूमि, दैनिक सवेरा, अमर उजाला व सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने प्रमुखता से मुख्य पृष्ठ पर चिंतन शिविर की कवरेज को स्थान दिया। मिडिया ने बिल्कुल सच्ची व सही रिपोर्ट जनता के सामने रखी इसके लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने मीडिया का भी धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया है ।
इसके साथ-साथ भोजन की व्यवस्था के लिए भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की जमकर तारीफ़ हुई है। वह बाहर से आए अतिथिगणों के लिए व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले साथियों की भी सराहना की गई है। इसके साथ-साथ शिविर को चलाने में सहयोग देने वाले सभी साथियों का धन्यवाद प्रस्ताव पास किया गया। शिविर में जितने भी निर्णय लिए गए थे उनको लागू करने के लिए अलग-अलग टीमें भी गठित की गई ।
जम्मू कश्मीर से आए चौधरी कमलजीत सिंह व जम्मू के इंस्पेक्टर साहब की बातों को समझते हुए जम्मू कश्मीर के जाट किसानों की समस्या पर प्रस्ताव पारित कर के भारत सरकार के गृहमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया है ।
इस चिंतन शिविर ने हमें काफी अनुभव दिए हैं व हमें काफी कुछ सीखने को मिला है। परंतु इतना तय है कि जाट इतिहास के पन्नों में यह पहली बार लिखा जाएगा कि हरियाणा की पावन भूमि पर लगातार चार दिन तक 14 प्रदेशों के लोग व 8 देशों के NRI को एक मंच पर बैठाकर 4 दिन तक चिंतन करवाने का एक पहला रिकॉर्ड आदर्श जाट महासभा के नाम दर्ज हुआ है। ये बात भविष्य में भी जरूर याद रखी जायेगी। इसके साथ-साथ चिंतन शिविर में सहयोग देने के लिए कमांडेंट एस. एस संधू साहब का भी धन्यवाद करेंगे जिन्होंने तन-मन और धन तीनों से इस शिविर में सहयोग दिया। महासभा के पदाधिकारी का भी सहायोग के लिए भी धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया ।
जाट समाज के बुजुर्ग डॉक्टर किताब सिंह श्योकंद , नरवाणा के लक्ष्मण मिर्धा जी तथा नरवाणा नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन मास्टर दरिया सिंह मिर्धा का भी धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया उन्होंने सरकारी नौकरी पर रहते हुए भी इस शिविर में काफी योगदान दिया है। वह उन सभी सरकारी अधिकारियों का भी धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया जो इस शिविर में मंच पर आकर अपनी कौम को मार्गदर्शन देने का काम कर गए। एक बार पुनः सारे जाट समाज को सफलतापूर्वक चिंतन शिविर की बधाइयां ।
[साभार: आदर्श जाट महासभा के एक सच्चे सैनिक की कलम से]