किशनगंज जिले में बाढ़ के बाद क्षेत्र को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है

किशनगंज, दिघलबैंक, बीबीगंज:- बाढ़ के बाद क्षेत्र को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। बाढ़ के बाद अब सभी जगहों की स्थिति पहले से सामान्य है। इस भयंकर त्रासदी से सबसे अधिक क्षति सड़कों को पहुची है। पुल-पुलिया की बात की जाए तो बाढ़ में टूटने के बाद अब तक इनकी मरम्मती या पुनर्निर्माण नही हुआ है।

किशनगंज जिले में बाढ़ के बाद क्षेत्र को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है

आज हम बात कर रहे हैं दिघलबैंक व टेढ़ागाछ प्रखण्ड की सीमा पर स्थित बीबीगंज के आसपास के इलाकों की। अगर आप बीबीगंज बाज़ार से पश्चिम जाएंगे तो आपको एक नदी मिलेगी। हालांकि नदी पार करने के लिए पुल है। थोड़ी दूर जाने के बाद ही आपको बड़ा सा पंचायत भवन दिखेगा।

बिहार सरकार के लाखों रुपयों से निर्मित यह भवन शान से खड़ा दिखता है। लेकिन एक सवाल खड़ा होता है कि कब तक यह युही टिका रह सकता है, क्योंकि इसके बिल्कुल पास ही सड़क बुरी तरह बाढ़ में कटा पड़ा है। राहत की बात है कि आवाजाही के लिये डायवर्सन बना हुआ है।

किशनगंज जिले में बाढ़ के बाद क्षेत्र को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है

अगर फिर इस बार अगले वर्ष की भांति बारिश होती है तो पंचायत भवन की नींव संकट में आ सकती है। फिर लाखों रुपये लगा कर भवन बनाने का क्या औचित्य? अभी भी समय है। सड़क फिर से दुबारा क्षतिग्रस्त ना हो, इसके लिए प्रशासन को पुख्ता इंतज़ामात करने की आवश्यकता है। दोनो प्रखंडों की सीमा पर स्तिथ रहने की वजह से कही “पहले आप, पहले आप वाली” कहावत तो नही अपनाई जा रही है।

डायवर्सन से आवाजाही में मुश्किलों का सामना करना माने जैसे इस इलाके का मुस्तकबिल बन चुका है। नदी के इस पार वाले गाँव अभी भी उपेक्षा का दंश झेल रहे है। काशिबाड़ी, दक्षिण काशिबाड़ी, पत्तरघट्टी जैसे गांवों को जोड़ने काली सड़कों पर पिच कार्य तो हो रहा है। लेकिन लोगों को योजना की सही जानकारी नही होने की वजह से ठेकेदार व मुंशी जमकर लाभ रहे हैं।

सड़को में प्रयोग होने वाली सामग्रियों की निगरानी होनी चाहिये, ताकि सड़कों का तुंरत जर-जर होने का खतरा ना बना रहे। बिजली की स्थिति पहले से बेहतर है। पहले के अनुपात में लोग मकई को अधिक तवज़्ज़ो दे रहे हैं। अगर उपरोक्त समस्या को हल कर दिया जाए तो वह दिन दूर नही जब बीबीगंज, काशिबाड़ी व पत्तरघट्टी जैसे गाँव भी सुसज्जित व डिजिटल नज़र आएंगे।

[स्रोत- निर्मल कुमार]

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