न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अकोट के अकबरी प्लॉट निवासी अब्दुल जमीर अब्दुल कादर ने अकोट न्यायालय में एक निजी याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि अकोट के तत्कालीन मुख्य अधिकारी समिर गुंजारीलाल लाठी, तत्कालीन सरकारी अभियंता विलास चंद्रभान बोरकर, पुर्वनगराध्यक्ष व पार्षद रामचंद्र टिकाराम बरेठिया, ठेकेदार शिवाजीराव केशवराव देशमुख, पार्षद अफजल खान अमिर उल्लाह खान, पार्षद रेशमा अंजुम अफजल खान, सदेका बी इफ्तेखार अहमद ने मिली भगत कर वर्ष 2014 में अंजनगाव के समीप स्थित उर्दू शाला से लेकर मौलाना आजाद शाला तक मार्ग का निर्माण व अलग-अलग स्थानों पर 22 नाले और सुरक्षा दीवार के निर्माण में फर्जीवाड़ा करते हुए आर्थिक लाभ लिया तथा आम नागरिकों के साथ जालसाजी करते हुए फर्जी बिल निकाले इस फर्जीवाड़े की जांच कर उचित कार्रवाई करने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की गई थीलेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई.
जिस के पश्चात नींद से जागे प्रशासन ने शासकीय किया अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्राचार्य तथा गुण नियंत्रण विभाग अमरावती को जांच करने के आदेश दिए थे जिससे दल ने 13 फरवरी 2016 को जांच के बाद ब्यौरा पेश किया था वही राजस्व के उप विभागीय अधिकारी ने 3 जुलाई 2015 को अपना ब्यौरा जिलाधिश को पेश किया था इस मामले में 31 अगस्त 2016 कोअकोट शहर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया गया था किंतु पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था.
किससे पुलिस महासंचालक को 14 दिसंबर 2016 को ज्ञापन दिया जाने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अधिवक्ता नजीब शेख द्वारा दी गई दलील तथा दस्तावेजों की जांच करने के पश्चातअकोट न्यायालय के मनोज जे मोहड ने धारा 405, 406, 409, 415, 417, 420, 425, 426, 431, 432, 120 तथा 149 के तहत अपराध दर्ज कर जांच करने का आदेश अकोट शहर पुलिस को दिए न्यायालय द्वारा पदसिद्ध पदाधिकारी तथा अधिकारियों के खिलाफ आदेश दिए जाने के कारण अकोट परिसर में हड़कंप मच गया है.
[स्रोत- शब्बीर खान]