आजकल बॉलीवुड में फिल्मों को लेकर उनके डायरेक्टर बहुत मेहनत करते है. लेकिन इंतनी मेहनत करने के बाद बाद भी फिल्मे अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाए कामयाब नहीं रहती है. अगर माना जाये तो कम बजट की फिल्मे अच्छा कारोबार करने में सफल रहती है. अगर उदाहरण के लिए देखा जाये तो विनय पाठक और रजत कपूर का भेजा फ्राई जैसी फिल्मों ने खूब तारीफे बटोरी है. तो आइये नजर डालते है ऐसी ही फिल्मों पर जिनकी हिट होने की बिलकुल उम्मीद नहीं थी फिर भी उन्होंने बड़े पर्दे पर अपना प्रदर्शन दिखाने में कामयाब रही.
विक्की डोनर (2012): अगर बात की जाए इस फिल्म कि तो ऐसा लग रहा था फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बिलकुल नहीं चल पाएगी. लेकिन फिल्म ने उस साल हिट होने के अलावा एक नया मुकाम भी हासिल किया. देखा जाए तो कोई भी डायरेक्टर इस विषय के बारे में सोच ही नहीं पाया कि स्पर्म डोनेट को लेकर भी कोई फिल्म बने जा सकती है. निदेशक शूजिट सिरकर और निर्माता जॉन अब्राहम ने नए चेहरे आयुष्मान खुराना और यामी गौतम पर अपने दांव रखा. इस फिल्म में सिर्फ अन्नू कपूर ही केवल ज्ञात चेहरा था. करीब 5 करोड़ के बजट की इस फिल्म ने 700% से अधिक अधिक कमाई करके इस फिल्म को हिट और यादगार होने पर मजबूर कर दिया.
ए वेडनेसडे (2008): नीरज पांडे के निर्देशन में बनी यह फिल्म ‘ए वेडनेसडे’ देखने लायक थी. बात करें इस फिल्म के डायरेक्टर कि उन्होंने बॉलीवुड ने कई हिट फिल्मे दी है. नीरज पांडे ने इस फिल्म से बॉलीवुड के दो दिग्गजों (नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर) के साथ अपनी यात्रा शुरू की, फिल्म की कहानी साल 2006 में मुंबई हमलों के बारे में है. यह फिल्म शुरू से लेकर एंड तक बाँधकर रखती है. डेढ़ घंटे की इस फिल्म में न कोई गाना है, न कोई मसाला है और न ही फालतू दृश्य. इस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की थी और लोगों को भी काफी पसंद आई थी.
भेजा फ्राय (2007): सागर बेल्लारी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने एक नयी पहचान बनाई. महज 95 मिनट की इस फिल्म ने लोगों को थिएटर की सीटों से उठने नहीं दिया. रजत कपूर, विनय पाठक, रणवीर शौरी, मिलिंद सोमन की बेहतरीन अदाकारी ने इस फिल्मे को कामयाब होने पर मजबूर कर दिया. अमोल गुप्ते एक बार फिर बतौर अभिनेता अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे. हालांकि इस फिल्म को हर तरफ से सकारात्मकता ही मिली. फिल्म का कम बजट होने के बावजूद भी इस फिल्म अपने बजट से कही ज्यादा कमाई करके इस फिल्म को एक सफल हिट बनाया.
खोसला का घोसला (2006): अगर देखा जाए तो कई ऐसे लोग होंगे जो इस फिल्म की कहानी को अपनी असल ज़िन्दगी में भी झेल चुके होंगे. दिबाकर बनर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने लोगो को एक मिडिल क्लास फैमिली की मज़बूरी को लोगों के बीच तक पहुचाया. विनय पाठक और रणवीर शॉरी की एक्टिंग को दर्शकों ने खूब सराहा. अगर फिल्म की कहानी पर नजर डाले तो एक मिडिल क्लास फैमिली की जमीं पर एक बिल्डर कब्ज़ा कर लेता है फिर उस फैमिली में रहने वाले बच्चे अपनी ज़मीं को उस बिल्डर से छुडवाते है और उससे मात भी देते है. आगे कि कहानी के इस फिल्म को आपको देखना पड़ेगा. महज 3.75 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने आखिरकार डीवीडी की बिक्री को छोड़कर 37 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की.
इकबाल (2005): विवेक ओबेरॉय की फिल्म ‘किसना’ के फ्लॉप होने के बाद सुभाष घई की कंपनी मुक्ता सर्चलाइट फिल्म्स छोटे बजट की फिल्मे करना शुरू कर दिया. नागेश कुकुनूर की फिल्म ‘इकबाल’ एक बहरा और गूंगा लड़के की यात्रा पर आधारित होती है. श्रेया तलपड़े और नसीरुद्दीन शाह ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी. नसीरुद्दीन शाह इस फिल्म में श्रेया तलपड़े के क्रिकेट कोच बनते है और उससे इतना कामयाब बनाते की उसका सिलेक्शन राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में हो जाता है. महज 7.5 करोड़ के बजट की इस फिल्म ने करीब 40 करोड़ से भी ज्यादा कमाई करने के बाद यह फिल्म भी शानदार हिट साबित हुई.