सिर्फ नाम-नाम और जाति का ही खेल है. राजनीति मे ऐसा अक्सर होता आया है. हमने देखा भी है.
किसी भी दल के लिए उसकी मुख्य परीक्षा बार-बार होने वाले विधानसभा, लोकसभा और नगर निगम चुनाव होते है. उन चुनावो के होने पर ही कोई भी दल अपनी रणनीति को और सुदृढ़ करता है. रणनीति को इतनी ठोस बनाता है जिससे उसकी पार्टी का जनता के लिए किया गया कामकाज सिर्फ कागजो पर ही नही बल्कि हकीकत पर भी दिखे. हमने चुनावो के दौरान राजनीतिक दलों द्रारा यह देखा है कि वह एक क्षेत्र का नक्शा लेकर आता है और बताने का प्रयास करता है कि वहां उसने जनता के लिए क्या काम किया है.
हमे अंदाजा लगाना चाहिए कि कोई भी दल हमे लुभाने के लिए कौन-सी रणनिति अथवा ऐसा कौन-सा हथकंडा अपनाने वाला है जिससे जनता उसके द्रारा चुने गए प्रतिनिधि को पसंद करे. राजनिति मे हम इसे फैक्टर के नाम से जानते है जैसे दलित फैक्टर, मुस्लिम कार्ड आदि.
आगामी उप-राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष ने पहले से ही अपनी रणनीति को मजबूत कर लिया है. 11 जुलाई को हुई 18 विपक्षी दलों की बैठक मे सभी ने गोपालकृष्ण गाँधी के नाम पर सहमति जताई है. अब तय है कि विपक्ष की तरफ से उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उन्होने गोपालकृष्ण गाँधी को बनाया है. विपक्ष द्रारा पेश किए गए उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार को सत्तारूढ़ दल विपक्ष की ओर से एक खुली चुनौती के रूप मे भी देख सकता है.
विपक्षी दलो ने ऐसा करके अपना जाति फैक्टर अथवा ब्राहम्ण कार्ड को पहले ही जनता के समक्ष पेश कर दिया है. विपक्ष की बैठक मे तय हुआ था कि किसी गैर कांग्रेसी बुद्धिजीवी को उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार चुना जाए. साथ ही बैठक मे लिया गया फैसला दिखाता है कि सोनिया गाँधी ने विपक्ष की एकता के खातिर अपने किसी चेहरे को नही बल्कि दूसरे विपक्षी दलो की पसंद को तवज्जो दी. कांगेस ने अपनी पार्टी और विपक्षी एकता को बचाने के कारण ऐसा फैसला किया है. हम पहले भी देख चुके है जब राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार की घोषणा की जानी थी तब विपक्ष मे एकजुटता के लक्षण दूर-दूर तक नही दिख रहे थे. विपक्ष अपनी साख को बचाने मे ना-कामयाब रही.
इससे पहले जब भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान किया था तब विपक्ष सक्ते मे आ गया था. विपक्ष को भी एक ऐसा ही दलित चेहरा चाहिए था जिसे पक्ष-विपक्ष मे बराबरी का मुकाबला हो. विपक्ष ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के नाम पर मुहर लगा दी.
सभी विपक्षी पार्टियो का एक-साथ आना और उप-राष्ट्रपति पद के उंम्मीदवार के नाम की घोषणा करना सत्तारूढ दल की चिंता को बढ़ाता है. हाल ही मे भाजपा अध्यक्ष ने महात्मा गाँधी को बनिया के रूप मे दर्शाया था जिससे भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी. लेकिन दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी ने महात्मा गाँधी का नाम लेते हुए उन्हे सच्चा क्रांतिकारी और देशभक्त सिद्ध कर दिया. पक्ष को भी बड़े सोच-विचार करके उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान करना होगा. उसको भी एक ऐसे चेहरे की जरूरत है जो जनता की नज़र मे सत्तारूढ़ द्रारा तय किए गए नाम पर हामी भरे तथा उसको स्वीकारे.
व्यक्तित्व
दरअसल, विपक्ष द्रारा तय किया गया नाम गोपाल कृष्ण गाँधी, महात्मा गाँधी के सबसे छोटे बेटे देवदास गाँधी के पुत्र है और आजाद भारत के प्रथम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालचारी के नाती है. गोपाल गाँधी पूर्व राज्यपाल अथवा लेखक भी है. उन्होने अपनी शिक्षा दिल्ली के सैंट स्टीफन कॉलेज से की है.