150 वर्ष बाद घटेगी आसमान में अनहोनी घटना

भारत में 31 जनवरी का दिन इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन वर्ष 2018 में 31 जनवरी का दिन खगोल प्रेमियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन आकाश में कुछ ऐसा घटने वाला है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं करी होगी।

 150 years later untimely event in the sky

चाँद के अनेक रूप:

31 जनवरी 2018 को भारतीय समय के अनुसार शाम 6.22 से 7.38 तक विशेष घटना घटने वाली है। इस दिन इस समय चंद्र ग्रहण, ब्लू मून और सुपर ब्लू मून एक साथ दिखाई देंगे। यह एक अनहोनी और अकल्पनीय घटना है जो अपने आप में अभूतपूर्व घटना है। लगभग 150 वर्ष पूर्व इस प्रकार के संयोग बने थे। मार्च 31, 1866 को इसी प्रकार की घटना आकाश में दिखाई दी थी। इस वर्ष 31 जनवरी के दिन भारतीय लोग अपनी आँखों से आकाश में घटने वाली इस दुर्लभ घटना को बिना किसी यंत्र की सहायता के देख सकेंगे।

क्या है यह दुर्लभ घटना:

एस्ट्रोनोमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की पब्लिक आउटरिच कमिटी के अध्यक्ष निरुज मोहन के अनुसार जब ग्रेगरीयन कैलंडर के अनुसार एक ही माह में दो बार पूर्णिमा आ जाती है तो उस समय सुपर ब्लू मून के होने की संभावना प्रबल हो जाती है। उन्होनें आगे इसे विस्तार से समझाते हुए बताया की जब खगोलीय घटना के कारण ब्लू मून, चंद्र ग्रहण और सुपर मून एक साथ आ जाते हैं तो इस घटना को संयुक्त रूप में सुपर ब्लू मून कहा जाता है।

सुपर मून:

आपको बता दें की सुपर मून क्या होता है। दरअसल जब अपनी कक्षा में चक्कर लगाता हुआ चाँद पुर्णिमा की तिथि पर पृथ्वी के बहुत करीब आ जाता है। इस स्थिति में चाँद का आकार बहुत बड़ा और रंग बहुत चमकीला दिखाई देता है। इस बड़े आकार के कारण ही चाँद को सुपर मून कहा जाता है।

ब्लू मून:

जब एक ही महीने में दो बार सुपर मून दिखाई देता है तो इस घटना को ब्लू मून कहा जाता है। यहाँ आप यह न समझिएगा की दूसरी बार चाँद का रंग नीला हो जाता है। जी नहीं, ऐसा नहीं है। दरअसल पश्चमी देशों में ‘ब्लू’ शब्द का प्रयोग विशिष्टता को दर्शाने के लिए किया जाता है। इसी कारण इस दूसरी बार दिखाई देने वाले सुपर मून को भी विशिष्ट मानते हुए ब्लू मून का नाम दे दिया गया है।

सुपर ब्लू मून:

बहुत से लोग इस बात से अवगत होंगे की चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है। जब यह ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है तब इस दिन चाँद को सुपर ब्लू मून कहा जाता है। ग्रहण होने के कारण इसे सुपर ब्लू मून ग्रहण भी कहा जाता है।

विस्मयकारी खगोलीय घटना:

पुणे की इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ एस्ट्रोनोमी एंड एस्टरोफिजिक्स क्षेत्र के खगोल वैज्ञानिक समीर धुरडे के अनुसार 31 जनवरी 2018 को इस घटना के समय चाँद का आकार सामान्य से 14 प्रतिशत अधिक होगा। इसके अतिरिक्त इस दिन चाँद की चमक में भी 30 प्रतिशत अधिक वृद्धि दिखाई देगी। हालांकि हो सकता है की कुछ लोग इस अंतर को एक बार में न समझ सकें ।

इसके अतिरिक्त जैसा की सब जानते हैं की चाँद अपना एक चक्कर पृथ्वी के चारों ओर 27.3 दिन में पूरा करता है। इस स्थिति के अनुसार दो पूर्णिमा में 29.5 दिनों का अंतर होता है। एक महीने में 28.30 और 31 दिन होने के कारण एक महीने में दो बार पूर्णिमा होने की संभावना बहुत कम होती है। इसी गणित के अनुसार सुपर मून के दिखाई देने की वर्षों में एक बार ही संभावना होती है।

चाँद का बदलता रंग:

सामान्य रूप से चंद्र ग्रहण की स्थिति में चाँद पर पृथ्वी के बीच में होने के कारण सूरज का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है। सूरज से निकालने वाले रंगों में से केवल लाल रंग ही चाँद तक पहुँच पाता है इसलिए इस दिन चाँद का रंग ताँबे के रंग जैसा दिखाई देता है। इसलिए लोग ब्लू मून पर तांबे के रंग का चाँद देख पाते हैं।

इससे पहले कब आया था ब्लू मून:

इससे पहले पहले 1 मार्च 1866 को आने वाला ब्लू मून अमरीका सहित विश्व के अनेक देशो में दिखाई दिया था। उसके बाद 1 दिसंबर 1982 को पूरे विश्व ने ब्लू मून का नज़ारा किया था। इसी गणित के आधार पर अगला सुपर ब्लू मून 152 वर्ष बाद 31 दिसंबर 2028 को दिखाई देगा।

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