ढोंगी बाबाओं की लिस्ट जारी राधे मां सहित 14 बाबा फर्जी

यह समय ढोंगी बाबाओं के लिए बहुत खराब चल रहा है। 25 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी करार दिया गया था तथा हरियाणा की सीबीआई अदालत ने राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई थी। राम रहीम इन दिनों रोहतक की जेल में है। राम रहीम के दुनिया भर में करीब पांच करोड़ समर्थक हैं। RAdhe Maaराम रहीम के बाद से ही अन्य बाबाओं के चरित्र पर भी संदेश दिया जा रहा है। कहते हैं कि एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है तो यहां तो राम रहीम के अलावा आसाराम बापू, राम पाल जैसे बाबाओं पर भी यौन उत्पीड़न और हत्याओं के मामले दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। ऐसे में अन्य बाबाओं पर संदेह किया जाना लाजमी है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद आई सामने

सभी बाबाओं को संदेहास्पद नजर से देखने के चलते अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद आगे आई है और उसने रविवार को मठ बांघवरी गद्दी में विशेष बैठक का आयोजन कर 14 फर्जी बाबाओं की सूची जारी की है। साथ ही देश की जनता से इन फर्जी बाबाओं का बहिष्कार करने की अपील की है और अखाड़ा परिषद की बैठक में सरकार से भी अपील की गई है कि इन फर्जी बाबाओं का बहिष्कार करके उन्हें धार्मिक पर्व पर किसी भी तरह की सरकारी सुविधाएं प्राप्त ना कराई जाए। इसके लिए जल्दी ही प्रस्ताव केंद्र व राज्य सरकार को भी भेजा जाएगा।

फर्जी बाबाओं की सूची

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने जिन फर्जी बाबाओं की सूची तैयार की है वह इस प्रकार है-

1-: आसाराम बापू उर्फ आशुमल सिरमलानी

2-: सुखविंदर सिंह उर्फ राधे मां

3-: सच्चिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता

4-: बाबा ओम उर्फ विवेकानंद झा

5-: गुरमीत राम रहीम डेरा सच्चा सौदा सिरसा

6-: निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह

7-: इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिव मूर्ति द्विवेदी

8-: स्वामी असीमानंद

9-: ओम नमः शिवाय बाबा

10-: नारायण साईं

11-: रामपाल

12-: आचार्य कुशमुनि

13-: बृहस्पति गिरी और

14-: मलखान गिरी

संत की उपाधि पर हो फैसला

अखिल भारतीय परिषद ने संत की उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का फैसला किया गया है, जिससे आसाराम तथा गुरमीत राम रहीम जैसे लोग इसका गलत इस्तेमाल ना कर पाएं। अब किसी भी व्यक्ति की जांच पड़ताल करके तथा तय प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही संत की उपाधि दी जाएगी।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने एक दो धार्मिक संतो के गलत काम की वजह से पूरे संत समुदाय के चरित्र को संदेश की दृष्टि से देखे जाने पर खेद व्यक्त किया है।

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