प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि आपको कभी अपना प्यार दिखाने की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि जब प्यार सच्चा होता है तो कुदरती वो सबको दिखता है। जब प्यार में पैसो की भूख दिखे तो वो सच्चा प्यार नहीं होता। कवियत्री सोचती है कि बहुत से लोग आजीवन कड़ी मेहनत करके अपना आशियाना सजाते है और कुछ लोग उस आशियाने को देख बस जलते ही रहते है।
ईश्वर ने किसी को भी किसी से कम नहीं बनाया अगर हर इंसान दूसरे से न जल के केवल अपने को सँवारे तो इस दुनियाँ में कोई गरीब नहीं रहेगा। याद रखना समय तो वही है यातो आप दूसरे पर निर्भर हो जाओ या आप दूसरे की लाठी बन उसे भी सहारा दो। किसी की अगर मदद करनी ही है तो उसका हौसला बढ़ाओ, पैसो से किसी की मदद कर उसे लाचार मत बनाओ क्योंकि इस दुनियाँ में कोई बेचारा नहीं होता सबको अपने हालातो से लड़ना सीखना ही होगा वरना इंसान आजीवन दूसरे पर ही निर्भर रहेगा।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
दिल से रिश्ते कभी दिखावे से नहीं जुड़ते।
सीधे रास्ते पर चलने वाले, बीच में कही नहीं मुड़ते।
अफ़सोस होता है, अच्छे को भी अपनी सुध-बुद्ध खोते देख।
क्योंकि अच्छाई के तो सपनो में भी होते इरादे नेक।
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सबने अपने सपनो का आशियाना, अपनी-अपनी समझ से बनाया है।
किसी और का आशियाना तुमने, अपनी मेहनत से तो नहीं सजाया है।
तो क्यों किसी के कुछ पाने पर, तुम उससे जलते हो?
मेहनत के समय क्यों खाली बैठ, तुम बस हाथ ही मलते हो?
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किसी ने नहीं रोका तुम्हे सही रास्ते पर चलने से,
एक आशियाना यूँ ही खड़ा नहीं होता, बस किसी के हाथ ही मलने से।
मेहनत की अग्नि में जल कर, सपनो के आशियाने की नीव रखी जाती है।
अपने सपनो को पूरा करने में, हर एक जीव की आत्मा तक,
बस मेहनत के गीत ही गाती है।
छोटे-छोटे अपने अरमानो को पूरा करने में,
सबकी उमर यूही निकल जाती है।
किसी दूसरे पर निर्भर, जो खुदको मेहनत की अग्नि में नहीं जलाता है।
जीवन के हर पड़ाव में खुदको और अपनों को भी वो बस तड़पाता है।
धन्यवाद