देश के सेवारत चिकित्सकों के संगठन आॅल इंडिया फेडरेशन आॅफ गर्वरमेंट डाॅक्टर्स एशोसिएशन के राष्ट्रव्यापी आह्नवान पर राजस्थान के सेवारत चिकित्सक भी 16 मार्च को काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगे। इसी क्रम में राज्य और जिला मुख्यालयों पर कलक्टर के माध्यम से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्य के मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन भी देंगे।
सेवारत चिकित्सक संघ के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री एवं अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि देशभर में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए सेवारत चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह मांग की गई कि – ऐसे सेवारत चिकित्सकों को स्नातकोत्तर डिग्री के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी रुचि देश के वंचित वर्ग की सेवा करने में बनी रहे।
इसी सम्बन्ध में फेडरेशन इस निर्णय पर पहुंची की नित नए फैसले और आदेश निकाल कर चिकित्सकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना किया जाए तथा पूरे देश में 50 प्रतिशत पी.जी. सीटों पर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवारत चिकित्सकों के लिए आरक्षित रखी जाए। डाॅ. चौधरी ने बताया कि इसी क्रम में 19 मार्च को पूरे देश के सेवारत चिकित्सको द्वारा दिल्ली में रैली निकाली जाएगी।
संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डाॅ. लक्ष्मण सिंह ओला ने बताया कि सेवारत चिकित्सक प्रस्तावित एनएमसी बिल को पुरजोर विरोध करते है तथा जिस प्रारूप में ये बिल प्रस्तावित है, वो देश की चिकित्सा व्यवस्था को नष्टप्रायः कर देगा। इसलिए इस बिल का राष्ट्रव्यापी विरोध किया जाएगा।
यदि केंद्र सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती है, तो फेडरेशन कड़े कदम उठाने पर मजबूर होगा। संगठन के महासचिव डाॅ. दुर्गाशंकर सैनी ने बताया कि पूरे देश में सेवारत चिकित्सकों के वेतनमान में भारी विसंगतियां है। बिहार राज्य को उदाहरण मानते हुए पूरे देश मे एक समान वेतन व्यवस्था होनी चाहिए, अर्थात समान कार्य के लिए समान वेतन।
बिहार राज्य में इसी वर्ष से इसे लागू कर दिया गया है और अन्य राज्यों में भी इस शीघ्रातिशीघ्र लागू किया जाना चाहिए। बताया गया है कि सामूहिक अवकाश व अन्य तरीकों से विरोध प्रदर्शन के बारे में फेडरेशन की मई 2018 में मुम्बई में होनी वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
फेडरेशन के राष्ट्रीय सघंठन महामन्त्री डाॅ. अजय चौधरी ने बताया कि 50 प्रतिषत सेवारत कोटा, एनएमसी बिल एवं समान वेतन पर शीघ्र निर्णय चिकित्सकों के हितार्थ नहीं लिया जाता है तो जून 2018 के पश्चात् देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
[स्रोत- विनोद रुलानिया]