16 मार्च को देश भर के सेवारत राजकीय चिकित्सकों ने आॅल इंडिया फेडरेशन आॅफ गवर्मेंट डाॅक्टर्स एसोशिएसन एवं अरिस्दा के आव्हान पर अपनी मांगों की तरफ केन्द्र और राज्यों की सरकारों का ध्यान आकर्षित करने के लिए काली पट्टी बांध कर कार्य किया।
इस ध्यानाकर्षण विरोध के अंतर्गत देश के सभी जिला मुख्यालयों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया गया। अरिसदा के प्रदेशाध्यक्ष और फेडरेशन के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. अजय चौधरी (सीकर के सीएमएचओ) ने बताया कि राजस्थान में भी सभी 33 जिलों के सेवारत चिकित्सकों ने काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन के साथ कार्य किया। सभी जिला मुख्यालयों पर कलेक्टर के माध्यम से केंद्रीय चिकित्सा मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए गए हैं।
अरिसदा के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ लक्ष्मण सिंह ओला के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर सेवारत चिकित्सकों की 3 प्रमुख माँगे – देश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में सेवारत चिकित्सको के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत आरक्षण मिले ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा प्रबंधन को सुदृढ़ किया जा सके।
देश के सभी राज्यों के सेवारत चिकित्सकों को केन्द्र के समान वेतनमान/पे पेरिटी (एक समान कार्य एक समान वेतन) मिलना चाहिए। देश की चिकित्सा व्यवस्था को तहस नहस करने वाला प्रस्तावित तुगलकी कानून एनएमसी बिल का विरोध।
डॉ. ओला ने बताया कि इस आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। इसकी प्रथम कड़ी में काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन प्रेषित किया गया है। इसी क्रम में 19 मार्च को दिल्ली में रैली निकाली जाएगी। उसके बाद के कार्यक्रमों की घोषणा समय समय पर फेडरेशन के पदाधिकारियों द्वारा की जाएगी।
[स्रोत- विनोद रुलानिया]