नारायण राणे की विधान परिषद की उमेदवारी के लेकर भाजपा सोच में पड़ी

नारायण राणे महाराष्ट्र राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। जुलाई 2005 में वे भारतीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए जिसके पहले वे शिवसेना के सदस्य थे। राजनीति से जुड़ने से पहले वे चेंबूर क्षेत्र में हन्या-नर्या गिरोह के सदस्य थे, जो कि मुंबई का एक उपनगर है। उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सरकार के बिक्री कर विभाग के साथ भी काम किया है। narayna rane2007 में, इनके उम्मीदवार मुंबई के विधानसभा उप-चुनाव में हार गए और वे मुंबई नगरपालिका चुनाव में भी किसी प्रकार का प्रभाव दिखाने में असमर्थ रहे, जहां शिवसेना और बीजेपी ने लगातार तीसरी बार जीत का परचम लहराया.

8 अक्टुम्बर 2008 में उन्होने ‘प्रहार’ मराठी पेपर शरद पवार और पतंगराव कदम की उपस्थिती में निकला। महाराष्ट्र राज्य के विधान परिषद में 7 दिसंबर को एक जगह के लिये चुनाव होने जा रहा है। भाजपा सोच में पड़ गयी है। अगर भाजपा की ओर से नारायण राणे को उमेदवारी दियी जाती है तो शिवसेना के सदस्य उनको वोट नही करगें। वोट नही करने का कारण भी बिल्कुल सही है क्योंकि नारायण राणे मुख्यमंत्री शिवसेना की तरफ से बने थे। अभी उन्होने शिवसेना छोड़ के कॉंग्रेस का हाथ थामा था। लेकिन ज्यादा दिन साथ नही रहे और अभी उन्होने अपना नया पक्ष ‘महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष’ बनाया है। अभी वर्तमान में उनका एक सदस्य है उनका बेटा नितेश राणे कॉंग्रेस के महाराष्ट्र विधानसभा सदस्य है।

अगर दुसरा उम्मीदवार हो तो भाजपा आराम से जीत जाती है। भाजपा की ओर से प्रसाद लाड, माधव भंडारी, शायना एन सी, इनके नामो का विचार चालू है। विधान परिषद का एक जगह को होने वाला चुनाव 7 दिसंबर को होगा और प्रचा दाखिल करने की आखरी तारीख 27 नोव्हेंबर है।

[स्रोत- बालू राऊत]

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